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अंतर्राष्ट्रीय महिला काव्य मंच की जयपुर इकाई की जून माह की गोष्ठी का भव्य समापन।

जयपुर – अंतर्राष्ट्रीय महिला काव्य मंच की जयपुर इकाई की जून माह की मासिक काव्य गोष्ठी का भव्य आयोजन मंच की महासचिव मीता जोशी के संयोजन में तथा प्रदेश अध्यक्ष सुनीता अग्रवाल के मार्गदर्शन में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। यह गोष्ठी जयपुर इकाई की अध्यक्ष नम्रता शर्मा के निवास पर आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता मंच की वैश्विक सलाहकार डॉ. सुमन सखी दहिया ने की तथा संचालन जयपुर इकाई की उपाध्यक्ष डॉ. कंचना सक्सेना द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष नम्रता शर्मा द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ, इसके पश्चात मंच के ध्येय गीत का सामूहिक गान किया गया। गोष्ठी में कवयित्रियों ने दोहे, धनाक्षरी, माहिया, मुक्तक आदि काव्य विधाओं में भावपूर्ण रचनाएं प्रस्तुत कीं।
राजेश्वरी जोशी ने ‘शब्दों की सलाखें’ से दिल की गहराइयों को छुआ।
निशा दुबे ने ‘कोई मुझे हमेशा रोकता था’ के माध्यम से आत्मसंवाद की अनुभूति कराई।
शारदा ने सावन की रातों और यादों को गीत में पिरोया – “सजनी तेरी याद सताए.सुशीला शील ने दोहों के माध्यम से रिश्तों की संवेदनशीलता को उजागर किया माँ की साँसें गिन रहा, बँटवारे का शोर।
विदिशा राय ने चाँद के विविध रूपों को ‘चाँद कविता’ के माध्यम से जीवंत किया। मीता जोशी की कविता “मैं सो गयी तो तुम्हें जगाएगा कौन” ने माँ की भूमिका को मार्मिक रूप से प्रस्तुत किया। डाॅ. कंचना सक्सेना की रचना “द्रौपदी अपना वस्त्र स्वयं सम्भालो” ने नारी चेतना का सशक्त चित्रण किया। नम्रता शर्मा ने गीतिका “जो गिरे ही नहीं, वे चले ही नहीं” के माध्यम से संघर्ष में सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया।
सुनीता अग्रवाल ने आधुनिकता की अंधी दौड़ पर “डिजीटल दुनिया में रम गये” कविता के माध्यम से तीखा कटाक्ष किया।
डाॅ. सुमन सखी दहिया ने “पिता” कविता में पिता की महत्ता और सशक्त छवि को मार्मिकता से अभिव्यक्त किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. दहिया ने सभी रचनाकारों की सराहना करते हुए नारी साहित्य की इस सशक्त प्रस्तुति पर प्रसन्नता व्यक्त की और अगली गोष्ठी में पुनः मिलने की आशा के साथ गोष्ठी का समापन हुआ।

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