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इटावा कथावाचकों की घटना इतिहास संविधान व समाज के लिए खतरनाक, हो सी.बी.आई. या मजिस्ट्रेटी जांच- शिवमंगल सिंह

    

महेश प्रताप सिंह

 

कानपुर ब्यूरो (अमर स्तम्भ) । देश व समाज में निष्पक्ष व निस्वार्थ भाव से 2011 से काम कर रहे गैर राजनीतिक, देशव्यापी, देश के कई महामहियों द्वारा सराहनीय ऑपरेशन विजय बुराइयों के खिलाफ जंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवमंगल सिंह आईपी ने इटावा में कथावाचकों के साथ हुई घटना को अमानवीय एवं देश व समाज के साथ-साथ संविधान के लिए खतरनाक मानते हुए घटना की सीबीआई या मजिस्ट्रेटी जांच करवाने हेतु भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखे हैं। उपरोक्त जानकारी देते हुए उन्होंने 145 करोड़ देशवासियों के नाम दिए अपने संदेश में कहा कि इतिहास संविधान व वर्तमान समाज के अनुसार प्रत्येक जाति के प्रत्येक विद्वान व्यक्ति को कथा कहने के साथ-साथ धार्मिक ग्रन्थों, शास्त्रों व वेदों आदि के बारे में समाज को बताने कथा कहने आदि का अधिकार पहले था अभी है और भविष्य में हमेशा रहेगा जिसे दुनिया की कोई ताकत नहीं छीन सकती।
साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिस, प्रशासन व सरकार इटावा कथा वाचक घटना पर पूरी तरह निष्पक्षता के साथ काम करें यदि पुलिस प्रशासन व सरकार ने पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया तो ऑपरेशन विजय बुराइयों के खिलाफ जंग अपनी कार्य योजना के अनुसार भारतीय संविधान के तहत देशव्यापी आंदोलन शुरू करेगा व किसी भी निर्दोष व्यक्ति के साथ अन्याय नहीं होने देगा। इसी के साथ उन्होंने पीड़ित समाज के वोट पर राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी के नेताओं एवं प्रमुख को भी आडे हाथों लेते हुए कहा कि जिसे ऐसी घटना घटित होने पर उत्तर प्रदेश एवं भारत सरकार से जवाब तलब करने के साथ-साथ भविष्य में ऐसी घटना ना घटे उसके लिए विधानसभा से लेकर संसद, उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर भारत सरकार तक अपनी बात मजबूतई से रखनी चाहिए थी जो सिर्फ पीड़ितों को मामूली धन देकर अपने वोट बैंक के हित में काम कर शांत बैठे हुए हैं, जो चिंतानीय है।
अन्त में उन्होंने देशवासियों से कहा कि आप देश व समाज हित में सत्य की बात खुलकर व निडरता के साथ समाज में रखें कोई भी ताकत आपकी आवाज नहीं दबा सकती क्योंकि ऑपरेशन विजय बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के तहसील स्तर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के हजारों अधिवक्ता समाज के हर पीड़ित एवं न्याय से वंचित के साथ निशुल्क खड़े हैं।

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