
बलौदाबाजार से राघवेंद्र सिंह की रिपोर्ट,,,,
शासन की योजना पर उठे सवालसुहेला (छत्तीसगढ़), 2 जुलाई: छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी “चावल तिहार” योजना के तहत चावल वितरण की अंतिम तिथि 30 जून निर्धारित की गई थी। हालाँकि, प्राप्त जानकारी के अनुसार अब भी जिले के लगभग 10 से 15 प्रतिशत पात्र हितग्राही चावल प्राप्त नहीं कर सके हैं। इस स्थिति को देखते हुए शासन ने वितरण की समय-सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया है।परंतु सुहेला स्थित उचित मूल्य की दुकान की स्थिति शासन की मंशा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है। स्थानीय केंद्र बीते तीन दिनों से बंद पड़ा है और दुकान में ताला जड़ा हुआ है। दुकान के खुलने-बंद होने का न तो कोई समय निर्धारण किया गया है और न ही किसी प्रकार की सूचना वहाँ चस्पा है। इससे ग्रामीण हितग्राहियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।दूर-दराज़ से आने वाले ग्रामीण राशन लेने पहुँचे, लेकिन दुकान बंद मिलने के कारण उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने रोज़मर्रा के कामकाज छोड़कर राशन लेने आते हैं, पर ताला जड़ा देखकर उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ता है। क्या अधिकारी यहां पर रानीजारौद जैसी निर्मित होने की राह देख रहे हैं?स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीणों में आक्रोश पनपने लगा है। उनका कहना है कि यदि शासन “चावल तिहार” जैसी योजना का प्रचार कर रही है, तो उसका लाभ हर पात्र हितग्राही को समय पर मिलना चाहिए।सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अब तक खाद्य विभाग के किसी भी अधिकारी ने इस अनियमितता पर कोई संज्ञान नहीं लिया है। तीन दिन से केंद्र बंद होने के बावजूद न कोई निरीक्षण हुआ है और न ही जवाबदेही तय की गई है, जिससे प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।ग्रामीणों की माँग है कि उचित मूल्य की दुकानें नियमित रूप से खुलें, वितरण समय का स्पष्ट निर्धारण किया जाए और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए। साथ ही, शासन व प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वे शीघ्र हस्तक्षेप कर व्यवस्था को दुरुस्त करें ताकि योजना का वास्तविक लाभ ज़रूरतमंदों तक पहुँच सके।