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उच्च शिक्षा दशा व दिशा पर परिचर्चा

महेश प्रताप सिंह 

कानपुर ब्यूरो (अमर स्तम्भ)। किदवई नगर स्थित सोशल रिसर्च फाउंडेशन के 15 वें वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर बहुत ही समसामयिक विषय उच्च शिक्षा : दशा और दिशा पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होटल मन्दाकिनी रॉयल, साकेत नगर में किया गया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने विशिष्ट योगदान के लिए दिल्ली, पंजाब राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, उन्नाव, प्रयागराज, कानपुर आदि से आए लगभग 30 विद्वतजनों को सम्मानित भी किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश योगेंद्र उपाध्याय के कर कमलो से हुआ। मुख्य अतिथि ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में किए जाने वाले प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा के विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं नई शिक्षा नीति ऐसे प्रयासों का प्रमाण है। हमारे प्रयासों से शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम आने लगेंगे। उन्होंने शिक्षकों से सकारात्मक सहयोग का आवाहन भी किया। 

सोशल रिसर्च फाउंडेशन की उपाध्यक्ष, महिला महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ० आशा त्रिपाठी ने सभी सम्मानित अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उच्च शिक्षा में व्याप्त प्रदूषण की ओर नेतृत्व का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह एक चिंतनीय यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर हमें खोजना होगा। संस्था के संस्थापक सचिव राजीव मिश्रा ने संस्था की 15 वर्षों की गौरवमयी यात्रा का विस्तृत परिचय दिया और बताया कि संस्थान के साथ जुड़कर इस देश के लाखों शिक्षक गण लाभान्वित हो रहे हैं। संस्थान के 6 रिसर्च जर्नल विश्व के 25000 जनरल्स के मध्य स्थान रखते हैं जो कानपुर के लिए भी एक गौरवपूर्ण बात है।

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक कुमार जी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर गहन प्रकाश डालते हुए कहा कि इस नीति का उद्देश्य शिक्षा को और ज्यादा समावेशी, प्रभावी और बेहतर बनाना है। यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है। इस नीति का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना है। 

संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि और श्री कामतानाथ मंदिर चित्रकूट के पीठाधीश्वर डॉ० मदन गोपाल दास, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के स्टेटीशियन डॉ० संदीप मिश्रा, एम० एल० सी० अरुण पाठक ने कहा कि नई शिक्षा नीति ऐसी शिक्षा प्रणाली की आधारशिला है जो विज्ञान के साथ-साथ ज्ञान से भी परिपूर्ण है। सेमिनार की अध्यक्षता जाने माने ज्योतिषाचार्य पंडित के ए दुबे पद्मेश ने की। उन्होंने नई शिक्षा नीति का भविष्य उज्जवल बताते हुए सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर भी काम करने की आवश्यकता पर बल दिया ।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ० निर्विकार कटियार, मध्य प्रदेश के डॉ० सी० एम० मेहता, राजस्थान से आए डॉ० राजेश कुमार शर्मा और भोपाल के डॉ० प्रभात पांडे जी ने नई शिक्षा नीति की विभिन्न संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए अपनी शिक्षा प्रणाली में अपेक्षित परिवर्तन और सुधार लाने पर जोर दिया जिससे भारत शिक्षा के क्षेत्र में भी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना सके। सोशल रिसर्च फाउंडेशन के संरक्षक और डीबीएस  कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ० शिव कुमार दीक्षित द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोष्ठी का समापन हुआ। गोष्ठी का कुशल संचालन महिला महाविद्यालय की हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉ० ज्योति किरण द्वारा किया गया। इस सेमिनार का संयोजन संस्थान की जनरल मैनेजर और जर्नल्स की उपसंपादक कुमारी भावना निगम द्वारा किया गया। संगोष्ठी में संस्थान की कोषाध्यक्ष दीप्ति मिश्रा, तेजस्वी मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर अर्चना दीक्षित, डॉक्टर मीत कमल द्विवेदी, अतुल दीक्षित, दिलीप कुमार मिश्रा, डॉ प्रदीप अवस्थी, अमन निगम, रचना गुप्ता, विनीशा मिश्रा, डॉ पी एन शर्मा, डॉ अनुराग सिंह, डॉ क्षमा त्रिपाठी, कार्तिकेय अवस्थी, शुभम तिवारी, कृष्ण गोपाल तिवारी,  प्रकाश शुक्ला, राम द्विवेदी सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहें।

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