जयपुर के झोटवाड़ा स्थित रजिस्टर्ड लघु उद्योग मैसर्स ऐग्रोफैब के संचालक आलोक गुप्ता व सिद्धार्थ गुप्ता ने राजस्थान उद्योग विभाग पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने प्रेस को दिए ज्ञापन में बताया कि वर्ष 2017 से जलदाय विभाग के लंबित भुगतानों के संबंध में RJ17B/S/RJS/1749 से RJ17B/S/RJS/1754 तक कुल 6 वाद MSME-FC में दर्ज किए गए हैं। विभाग ने 26.11.2021 को आर्बिट्रेशन शुरू करने का आदेश दिया, परंतु आज तक कोई निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई।
आरोप है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा फाइलों से महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिए गए और विरोध करने पर मारपीट तक की गई। मारपीट के फोटो साक्ष्य भी शिकायतकर्ताओं द्वारा संलग्न किए गए हैं।
आलोक गुप्ता ने बताया कि उद्योग आयुक्त श्री रोहित गुप्ता से मिलने की कोशिश की गई, परंतु बिना भेंट के उन्हें अन्य अधिकारी सी बी नवल के पास भेज दिया गया। सी बी नवल ने कथित तौर पर कहा कि सरकार के विरुद्ध आर्थिक क्लेम वाले मामलों को किसी न किसी बहाने से खारिज करना हमारी मौखिक नीति है। बाद में, एस एस शाह नामक अधिकारी के पास स्थानांतरित की गई फाइलों की स्थिति जानने के प्रयास विफल रहे। 12 मई 2025 को फाइल की स्थिति जानने पहुँचे तो कृष्ण अवतार नामक अधिकारी ने कथित तौर पर ₹2 लाख की रिश्वत की मांग की, जिसे नकारने पर विभाग के 100 से अधिक कर्मचारियों द्वारा घेराव और बदसलूकी की गई शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि विभाग में एमएसएमई अधिनियम का पालन नहीं हो रहा है। पांच सदस्यीय एमएसएमई एफसी में दो लघु उद्योग प्रतिनिधियों की नियुक्ति होनी चाहिए, जो 2017 से नहीं की गई है। विभागीय अधिकारियों द्वारा छोटे उद्यमियों का उत्पीड़न किया जा रहा है, जिससे राजस्थान में लघु उद्योगों का निवेश लगभग शून्य हो चुका है। आलोक गुप्ता ने मुख्यमंत्री, उद्योग मंत्री, और संबंधित अधिकारियों से माँग की है कि दोषी अधिकारियों सी बी नवल, एस एस शाह, और कृष्ण अवतार – को तत्काल निलंबित कर उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए और केसों का निपटारा निष्पक्ष तरीके से कर लघु उद्योग को बचाया जाए।
