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किन हालात में रोज़ा ना रखने की इजाज़त है?

पप्पू यादव

कानपुर (अमर स्तम्भ)

(रमजान को लेकर सवाल जवाब)

सवाल: किन हालात में रोज़ा ना रखने की इजाज़त है?
जवाब: सफर, हामिला होना (गर्भवती होना), बच्चे को दूध पिलाना, बीमारी, बुढ़ापा, जान का खतरा, जबरदस्ती (इकराह) या अक़्ल को नुकसान पहुँचने का अंदेशा—ये सब रोज़ा ना रखने के लिए उज्र (वजह) हैं। इन हालात में अगर कोई रोज़ा ना रखे तो वह गुनहगार नहीं होगा।

सवाल: यहाँ सफर से क्या मुराद है? अगर कोई सैर-ओ-तफरीह के लिए दूसरे मुल्क जाए, तो क्या इसे भी शरई सफर माना जाएगा?
जवाब: सफर से मुराद शरई सफर है, यानी इतना दूर जाने का यकलख़त इरादा हो कि वहाँ तक पहुँचने में तीन दिन (यानि 92 किलोमीटर) का फासला तय करना पड़े।

सवाल: अगर डॉक्टर कहे कि या तो रोज़ा रख लो या बच्चे को दूध पिला लो, ऐसी सूरत में क्या करना चाहिए?
जवाब: अगर हामिला औरत या दूध पिलाने वाली माँ को अपनी जान या बच्चे का सही अंदेशा हो, तो उसे इजाज़त है कि वह रोज़ा छोड़ सकती है। चाहे दूध पिलाने वाली खुद बच्चे की माँ हो या दाई (जिसका यह पेशा हो), यहाँ तक कि अगर वह रमज़ान में दूध पिलाने की नौकरी भी कर रही हो।

सवाल: क्या मुसाफिर सफर में रमज़ान का रोज़ा रख सकते हैं?
जवाब: मुसाफिर को सफर के दौरान रोज़ा रखने और ना रखने, दोनों का इख्तियार है। अगर वह रोज़ा रखे तो यह अज़ीमत (बेहतरीन अमल) है, और अगर ना रखे तो यह रुख्सत (छूट) है। अब उसे अपने हालात के मुताबिक तय करना चाहिए कि उसके लिए क्या बेहतर है।
माहे स्याम हेल्प लाइन में मुफ्ती हज़रात व उलमा ए अहले सुन्नत के व्हाट्सअप व कॉन्टेक्ट नंबर्स
मुफ्ती मोहम्मद इलियास खां नूरी (मुफ्ती आजम कानपुर) 9935366726
मुफ्ती मोहम्मद हाशिम अशरफी 9415064822
मुफ्ती मोहम्मद महताब आलम कादरी मिस्बाही 9044890301
मौलाना फतेह मोहम्मद कादरी 9918332871
मुफ्ती महमूद हस्सान अख्तर अलीमी 9161779931
मौलाना कासिम अशरफी मिस्बाही (ऑफिस इंचार्ज) 8052277015
मौलाना गुलाम हसन क़ादरी 7897581967
मुफ्ती गुल मोहम्मद जामई अशरफी 8127135701
मौलाना सुफियान अहमद मिस्बाही 9519904761
हाफिज़ मोहम्मद अरशद अली अशरफी 8896406786
जनाब इकबाल अहमद नूरी 8795819161

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