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गणेश शंकर विद्यार्थी बलिदान दिवस: युवाओं में ज्ञान और ऊर्जा की जरूरत, संगोष्ठी में आए अतिथियों ने जानिए क्‍या कहा

मुकेश कुमार
कानपुर (अमर स्तम्भ)।
गणेश शंकर विद्यार्थी ने कम उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन, पत्रकारिता और समाजसेवा के क्षेत्र अमिट छाप छोड़ी। यह उनके ज्ञानवान और ऊर्जावान होने के कारण ही संभव हो सका। वर्तमान दौर के युवाओं में वैसी ही जिजीविषा की आवश्यकता है। नई पीढ़ी में बालपन से ही ज्ञान विकसित करना होगा। यह विचार ‘जर्नलिस्ट क्लब” के महामंत्री अभय त्रिपाठी ने व्यक्त किए। वह गणेश शंकर विद्यार्थी के बलिदान दिवस पर जर्नलिस्ट क्लब द्वारा आयोजित ‘गणेश शंकर विद्यार्थी की पत्रकारिता” विषय पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि निजी और व्यवहारिक चुनौतियों के बीच पत्रकार बने रहा बहुत कठिन है। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्कर बाजपेयी ने किया। इस मौके पर संस्था के वरिष्ठ पत्रकार कुमार त्रिपाठी, गजेंद्र सिंह, शैलेन्द्र मिश्र, जीपी अवस्थी, विवेक शुक्ला, संजय मौर्या, विशाल सैनी, वीरेन्द्र पाल, स्वप्निल तिवारी, सुनील तिवारी, अनिल, संजय शुक्ला, विद्यार्थी, शोधार्थी एवं मीडिया शिक्षक भी मौजूद रहे। इस अवसर पर सभी ने अमर शहीद पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के चित्र पर माल्यर्पण कर पुष्पांजलि अर्पित किया।

पत्रकार को जीवन भर पढ़ना होता है।

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार कुमार त्रिपाठी ने कहा कि गणेश शंकर ने अपने नाम के साथ विद्यार्थी शब्द जोड़ा था क्योंकि वह ज्ञान प्राप्ति की इच्छा रखते थे। वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र सिंह ने कहा एक पत्रकार को जीवन भर पढ़ना ही होता है। किसी भी मामले में पत्रकार को तह तक जाना होता है।

गणेश शंकर विद्यार्थी आदर्श

पत्रकार शैलेन्द्र मिश्र ने विद्यार्थी को पत्रकारिता का आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में पत्रकारिता गुटों और विचारधाराओं में बंटी नजर आती है। वीरेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि आज कहीं भी पत्रकारिता की मर्यादा नहीं दिखती,पत्रकारिता समाज का दर्पण है। आज के दौर में पत्रकारिता मिशन की जगह प्रोफेशनल में बदल गई है। पत्रकार विशाल सैनी ने बताया कि गणेश शंकर विद्यार्थी विधान परिषद सदस्य भी रहे। उन्होंने 1919 में हिन्दी में पहला भाषण दिया तो अंग्रेज बौखला गए। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। कई बार जेल जाने के बाद भी विद्यार्थी जी पीछे नहीं हटे और स्वतंत्रता के आंदोलनकारियों के साथ मिलकर सहभागिता निभाते रहे।

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