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जरूरी है मानसिक सशक्तिकरण डॉ. साधना यादव

(असिस्टेंट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग जुहारी देवी गर्ल्स पी.जी. कॉलेज कानपुर)

मुकेश कुमार
कानपुर (अमर स्तम्भ)।
कानपुर मे हर साल आठ मार्च को हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। यह दिन महिलाओं के अधिकारों, उनकी उपलब्धियों, और समाज में उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए समर्पित होता है। यह दिन न केवल उनके संघर्षों को याद करने का है, बल्कि समाज में समानता, न्याय और महिला सशक्तिकरण के लिए एकजुट होने का भी अवसर है। लेकिन केवल आर्थिक, सामाजिक या कानूनी सशक्तिकरण ही पर्याप्त नहीं है—महिलाओं का मानसिक सशक्तिकरण भी उतना ही जरूरी है। यह न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास, आत्मसम्मान और स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति भी देता है। मानसिक सशक्तिकरण ही वह शक्ति है जो महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने और समाज में बदलाव लाने में सक्षम बनाती है। भारत की महिलाएं ऐतिहासिक और आधुनिक दोनों दृष्टिकोणों से प्रेरणास्त्रोत रही हैं। चाहे वह झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का साहस हो, मैरी कॉम का बॉक्सिंग में विश्व चैंपियन बनना हो, कल्पना चावला का अंतरिक्ष में उड़ान भरना हो, या महिलाओं का चांद पर चंद्रयान की सफलता हो—हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी काबिलियत को साबित किया है।

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