(भट्टी संचालकों पर नहीं है ध्यान )।
रवेन्द्र जादौन की खास रिपोर्ट एटा
एटा/जलेसर – नगर के प्रमुख उद्योग घुघरु घंटी पर पहले से ही महंगाई की मार थी। अब जीएसटी अधिकारियों के द्वारा लगातार की जा रही छापामार कार्यवाही से यह उद्योग अब मृत प्रायः होता जा रहा है। पिछले एक वर्ष के दौरान दर्जनों घुंघरू घटी व्यापारियों के यहां हुई छापा मार कार्यवाही के चलते लाखों रुपया जुर्माने का भरना पड़ा है।
आज प्रातः काल दो घुंघरू घंटी व्यापारियों के यहां छापामार कार्यवाही की गयी। जिसमें जीएसटी अधिकारियों द्वारा उनके घरों की तलाशी लेना उनके लिए सर दर्द बन गया। जब व्यापारी घर की तलाशी दे रहे थे उसी दौरान अन्य व्यापारियों द्वारा विरोध करने पर लगभग 2 घंटे तक चले हंगामा के बाद जीएसटी अधिकारियों द्वारा लिखित माफी मांगने पर व्यापारियों ने जीएसटी का सर्वे कराया।
गौरतलब हो कि जलेसर में घुंघरू घंटी व्यापारियों की करीब 50 फर्म रजिस्टर्ड हैं। जो जीएसटी से लेकर अन्य टैक्स भी निरंतर देते हैं लेकिन इससे कहीं अधिक फर्म ना तो रजिस्टर्ड है और ना ही किसी भी प्रकार का टैक्स दे रही हैं। उनमें भट्टी संचालक अधिकांश हैं। दो मोहल्लों में उनके प्रतिष्ठान करोड़ों रुपए प्रति माह का कारोबार कर रहे हैं। जिन पर जीएसटी अधिकारियों की कृपा दृष्टि के चलते उनका कोई बाल बांका नहीं कर पा रहा है। रजिस्टर्ड फर्म जहां टैक्स दे रही हैं तो उनका माल अधिक कीमत का हो जाता है। वही जो अन रजिस्टर्ड फर्म है वह टैक्स चोरी कर माल को कम दामों में बेच रहे हैं। जिसके चलते रजिस्टर्ड व्यापारियों को भारी असुविधा उठानी पड़ रही है। व्यापारियों ने नाम न छापने की शर्त पर धीमी आवाज में कहा कि एक वर्ग विशेष के द्वारा इस कारोबार की लंका लगाई जा रही है। आग लगा रखी है कारोबार में। व्यापारी वर्ग ने आरोप लगाया है कि क्या जीएसटी अधिकारी इनके विरुद्ध भी कार्यवाही करेंगे या फिर जो फर्म रजिस्टर्ड हैं उन्हीं के ऊपर कार्यवाही करते रहेंगे।