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जेल में बंदी की अस्पताल में हुई मौत,शव पर दिख रहा मारपीट का निशान

बलौदाबाजार से राघवेंद्र सिंह की रिपोर्ट,,,,,

जेल भेजने से पहले MLC रिपोर्ट ‘सामान्य,फिर कैसे हुई मौत? डॉक्टरी प्रक्रिया पर उठे सवाल

बलौदाबाजार जिले की उपजेल में बंद कैदी उमेंद्र बघेल की इलाज के दौरान मौत हो गई। यह घटना 13 जून को सामने आई, जिसने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पुलिस की कार्यशैली पर भी गंभीर बहस छेड़ दी है।8 जून को पलारी थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए उमेंद्र बघेल पर आरोप था कि वे ग्राम खैरी में शराब निर्माण में लिप्त थे। गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

मृत्यु के पत्नी का रो-रोकर हुआ बुरा हाल

मृतक की पत्नी शकुन्तला बघेल ने बताया कि उनके पति शराब पीने के आदी थे, लेकिन वे किसी भी प्रकार के शराब व्यापार में संलिप्त नहीं थे। उन्होंने पुलिस और जेल प्रशासन पर अनावश्यक रूप से फंसाने और जेल में मारपीट करने का गंभीर आरोप लगाया है।मेरा पति घर का इकलौता कमाने वाला था। अब हमारे सामने रोज़ी-रोटी का संकट है। सरकार को निष्पक्ष जांच करानी चाहिए और बच्चों के पालन-पोषण का भी प्रबंध करना चाहिए,” “अगर जेल में तबीयत बिगड़ी थी तो हमें सूचना क्यों नहीं दी गई? यह बहुत बड़ी लापरवाही है।

नया प्रभारी के आते ही होती है खैरी में कार्यवाही

खैरी गांव को लेकर उठे सवाल ने इस मामले में एक विशेष पहलू ध्यान खींचता है – वह है ग्राम खैरी को लेकर पुलिस की लगातार कार्रवाई।स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी पलारी थाना में नया थाना प्रभारी नियुक्त होता है, तो उसकी पहली बड़ी कार्यवाही खैरी में होती है। इतिहास गवाह है कि हर नए प्रभारी के कार्यभार ग्रहण करते ही खैरी में छापा या गिरफ्तारी जैसी बड़ी कार्यवाही होती रही है।अब प्रश्न यह उठता है कि बार-बार ग्राम खैरी को ही क्यों निशाना बनाया जाता है? क्या यह संयोग है या कोई पूर्वनियोजित रणनीति? इस विषय में प्रशासन ने अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।खैरी गाँव के ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि मृतक एकदम गरीब परिवार से जो रोजमर्रा दिहाड़ी मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता था वह मृतक शराब की बिक्री नहीं करता था मृतक के ऊपर कोई आपराधिक प्रकरण नहीं है मृतक दिहाड़ी मजदूरी करने के कारण शराब सेवन करता था पुलिस द्वारा कार्यवाही दिखाने के उद्देश्य से बेचारे मृतक को जेल भेज दिया गया।

जेल भेजने से पहले MLC रिपोर्ट ‘सामान्य’, फिर कैसे हुई मौत? डॉक्टरी प्रक्रिया पर उठे सवाल

बलौदाबाजार उपजेल में बंद कैदी उमेंद्र बघेल की मौत ने प्रशासन और पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली पर एक और गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। अब मामला केवल जेल या पुलिस की लापरवाही तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि चिकित्सा प्रक्रिया – डॉक्टरी मुलाहिजा (एमएलसी) – पर भी गंभीर संदेह जताए जा रहे हैं।सूत्रों के अनुसार, जब 8 जून को उमेंद्र बघेल को शराब निर्माण के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, तो उससे पहले नियमानुसार चिकित्सा अधिकारी द्वारा एमएलसी (मेडिको लीगल केस) जाँच करवाई गई थी, जिसमें उन्हें पूर्णतः ‘सामान्य’ घोषित किया गया था।लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि – अगर मेडिकल रिपोर्ट सामान्य थी, तो फिर कुछ ही दिनों में उनकी तबीयत इतनी कैसे बिगड़ गई कि उनकी मृत्यु हो गई? क्या मेडिकल जांच सिर्फ औपचारिकता के तौर पर की गई थी? या फिर जेल में ऐसी कोई स्थिति बनी, जिसकी जानकारी एमएलसी रिपोर्ट में नहीं दी गई? स्वाभाविक रूप से यह सवाल गहराता जा रहा है कि – क्या चिकित्सा अधिकारी द्वारा की गई जांच केवल खानापूर्ति थी? अगर मृतक का स्वास्थ्य पहले से खराब था, तो डॉक्टर को यह रिपोर्ट में दर्शाना चाहिए था।वहीं दूसरी ओर, यदि जांच में सबकुछ सामान्य था, तो जेल में ऐसी कौन-सी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं, जिससे उनकी तबीयत गंभीर रूप से बिगड़ी और मृत्यु हो गई? जांच की माँग तेज, मेडिकल स्टाफ भी घेरे में अब परिजनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय और स्वतंत्र जांच की मांग की है, जिसमें न सिर्फ पुलिस और जेल प्रशासन बल्कि एमएलसी तैयार करने वाले चिकित्सकों की भूमिका की भी समीक्षा की जाए।

शाम तक विधायक संदीप साहू भी अस्पताल पहुंचे

पूरे घटनाक्रम पर संज्ञान लेते हुए क्षेत्रीय विधायक संदीप साहू ने कहा है कि इस मामले की उच्च स्तरीय और पारदर्शी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी प्रकार की प्रशासनिक लापरवाही या पुलिस ज्यादती सामने आती है, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।क्षेत्रीय विधायक संदीप साहू ने भी कहा कि “मेडिकल सिस्टम की जवाबदेही भी उतनी ही आवश्यक है जितनी पुलिस प्रशासन की। यदि कोई दोषी पाया जाता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

न्यायिक जांच की होगी मांग–सुमित्रा धृतलहरे

जिस तरह से उमेंद्र बघेल का रहस्यमई ढंग से मौत हुआ आज न जाने उसके घर पर उसके बच्चों पर उसके बीवी पर उनके रिश्तेदारों पर क्या बीत रही होगी। खेत में जाने पर दारू बेच रहा है कहकर के पकड़ा जाना पुलिस थाना में धड़ाधड़ पीटना एमएलसी रिपोर्ट पर सामान्य रिपोर्ट प्राप्त होना जेल दाखिल होने के बाद 24 घंटे के अंदर तबीयत का बिगड़ना और अस्पताल भर्ती होना 3 दिन तक अस्पताल में रहने के बाद मृत्यु हो जाना और जब जेल दाखिला होना है तब परिजनों को सूचना दिया जा रहा है और अस्पताल भर्ती होना है तब परिजनों को कोई जानकारी ही नहीं और पंचनामा तैयार करने के वक्त जबरदस्ती साइन करवाना और दूसरे दिन परिजनों को बॉडी को सुपुर्द कर देना और अब बड़ी विडंबना यहां है कि गांव में जब बॉडी को दफनाने के समय देखा जा रहा है तो शरीर में चोट का निशान है तो फिर यह क्या है इसके लिए न्यायिक जांच होनी चाहिए हम अपने पार्टी से और इस विषय पर शासन प्रशासन से भी न्यायिक जांच की मांग करेंगे।

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