

रवेन्द्र जादौन की खास रिपोर्ट एटा
एटा/जलेसर- विगत दिनों से ग्राम फरीदपुर में अनवरत चल रही श्री राम कथा के भव्य आयोजन में परम पूज्य श्री राम जी भाई महाराज के मुखारविंद से सरल व सरस वाणी में अमृत वर्षा रूपी अमृतकथा का रसास्वादन करने के लिए उत्साहित श्रृद्धालुओं का अपार जन समूह कथा पाण्डाल की भव्यता दर्शाने के साथ साथ सरस कथा वाचक परम श्रद्धेय आचार्य जी की भव्यता व्यक्त करने का कौशल व सरस प्रस्तुति को दर्शाता है। तृतीय दिवस की श्री रामचरित मानस गाथा के अन्तर्गत श्री राम चर्चा में बाल काण्ड के माध्यम से नारद मोह, विश्व मोहनी स्वयंवर कथा, नारद का रूप परिवर्तन, विश्व मोहिनी विवाह, नारद मुनि के द्वारा शिव गणों व भगवान विष्णु को दिया गया श्राप सत्य सावित होगा आदि कथाओं का समावेश किया गया है। नारदजी ने श्राप दिया है कि जिस राजकुमारी के विरह मे मैं दुखी हूँ उसी तरह आप भी नारी विरह मे भटकते फिरते रहो।विष्णु भगवान ने श्राप स्वीकार किया।अगले चरण में भगवान श्री राम कथा की मार्मिक परिचर्चा में अयोध्या धम में श्री राम का प्राकट्योत्सव की सुन्दरतम व सरसतम कथा का संगीतमय वर्णन कर श्रृद्धालुओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया। आचार्य जी के अनुसार भगवान विष्णु को मनुष्य रूप प्रदान करने के लिए प्रेरणा मातृत्व की परंपरा ने ही दी है। सरस कथा वाचक श्री राम भाई महाराज के मुखारविंद से उत्पन्न एक एक शब्द मानो कमल अथवा गुलाब की पंखुड़ियों के समान भक्तों व श्रृद्धालु समूहों पर अमृत वर्षा की झडी लगाकर बरसते रहते हैं। जब तक कथा पाण्डाल में श्री राम कथा का प्रसंग चलते रहता है भक्तों व आगन्तुक समूहों में अचल शान्ति और सद्भाव बरकरार बना रहता है। बीच बीच में सामाजिक बुराइयों से बचने व बचाने हेतु उपदेशात्मक शैली में मधुर वाणी में गीत संगीत की झलक मिलती है। आगन्तुकों द्वारा आचार्य जी के सम्मान व सत्कार कार्यक्रम के तहत पुष्पहार, अंग वस्त्र धारण कराने का सुअवसर प्रदान किया जाता है। अन्त में आरती कराने की दैनिक पूजा अर्चना करते हुए प्रसाद वितरण कार्यक्रम सम्पन्न होता है। आचार्य जी कथा विश्राम कर भक्तों को आशीर्वाद, आभार एवं धन्यवाद के साथ साथ आभार व्यक्त कर दैनिक विश्राम लेने का काम सम्पन्न करते हैं।