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नवोदित कवियों की व्यथा – ऋतु उषा राय की कलम से

दैनिक अमर स्तम्भ- मै एक ऐसे व्यक्तिव की बात कर रही हूँ जो अपने आप में साधारण सरल और महान व्यक्तित्व है जेपी भैया एक पत्रकार है तो एक कवि भी है इनकी रचनाएं बहुत ही सरल और भाव प्रधान होती है इनमें एक महान गुण और भी है , ये भजन वादन के साथ बहुत ही सुंदर गाते है काव्यस्थली मंच के ये वरिष्ठ सलाहकार एवं हम सभी अनुज की देख रेख भी इनके हिस्से है जब समूह में सभी सोचते थे कि काश हमारी कविताएं समाचार पत्र , पत्रिकाओं में प्रकाशित हो जाती, तो कितना अच्छा रहता , पर आप जानते ही है बड़े बड़े अखबार तो सिर्फ बहु प्रसिद्ध लोगों को ही प्रकाशित करते है नवोदित कवि या कलाकारों को भला कौन पूछता है कोई कहता है पैसे जमा कर दीजिए तो कोई मंथली पैसे की पाबंदी लगा देता है तो किसी को सदस्या के लिए आजीवन पैसे दीजिए तो साल में 2या 3 कविताएं आपकी छप जाए। बस यही हाल था हर समूह का , हर समाचार पत्र का , रोज भेजिए मेल करिए कविताएं पर छपने से रही , ऐसे में हमारे जेपी भैया ने एक मुहिम शुरू की निःशुल्क कविताएं छपने लगी काव्यस्थली समूह से उठाकर कविताएं बिना कहे ही छप कर आ जाती , जिससे सभी को खुशियों का ठिकाना न रहा , क्योंकि चाहे अनुज हो या अग्रज अभी को अपनी कविताएं छपने का शौक रहता है , और कुछ पैसे देने भी चाहिए क्योंकि इतनी कविताएं निःशुल्क कैसे छपेंगी, कुछ खर्च तो वहन करना ही चाहिए , चाहे आप हो या हम, लेकिन ज्यादा से ज्यादा पत्र पत्रिकाओं में तो प्रकाशन के नाम पर शोषण है पर ये नजर इंडिया वास्तव में सबके साथ एक ही नजर रखती है कई हजार कविताएं आए दिन हमारे जेपी भैया के सौजन्य से छपती है पता नहीं कितने चेहरों को ये हर दिन खुशियां बांटते है मै तो दुआ करती हूँ ईश्वर कि भैया का घर परिवार सदैव धन धान्य यश वैभव से भरा रहे,
जे पी भैया वह महान व्यक्तित्व है जो सभी को अपनी बहन की तरह सम्मान और स्नेह देते है सबका दुःख दर्द समझते है और कविताएं दिल से लिखते है जिनमें भावों की अमिट धार होती है , मै अक्सर देखती हूँ भैया सदैव सबकी मदद के लिए तत्पर रहते है
भगवान के भजन में ही ज्यादा वक्त बिताते है मै ऐसे महान व्यक्तित्व अग्रज भाई जेपी शर्मा जी को अनेकों बार प्रणाम करती हूँ
और आप ऐसे ही समाज सेवा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे, गरीबों की मदद के लिए खड़े रहेंगे ,यही आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास रखती हूँ।
आप जैसा भाई पाकर हमें अभिमान है आपके लिए ये पंक्तियां स्वाभिमान की करो हिफाजत क्रोध का करो व्यापार नहीं प्यार उनसे भी उतना ही करना जिनको तुमसे प्यार नही आपकी छोटी बहन कवयित्री ऋतु ऊषा राय आजमगढ़

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