परम तेजस्वी
आजमगढ़। अक्षय तृतीया के मौके पर परशुराम सेना द्वारा चन्द्रमा ऋषि के आश्रम पर स्थित भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई। इस मौके पर सर्वप्रथम परशुराम सेना के लोगों ने आश्रम पर स्थित भगवान परशुराम की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पूजन अर्चन कर जयंती को धूमधाम से मनाया।
प्रदेश अध्यक्ष संजय दूबे ने कहाकि भगवान परशुराम का जन्म त्रेता युग में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हुआ था। मान्यता है कि भगवान परशुराम की जन्म स्थली वर्तमान में मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के मानपुर ग्राम में जानापाव नामक पर्वत पर है। परशुराम ब्राह्मण वंश के जनक और सप्तऋषियों में से एक हैं, इन्हें भगवान विष्णु का आवेशावतार कहा जाता है। उन्होंने यह भी कहाकि भगवान परशुराम का जन्म छह उच्च ग्रहों के संयोग में हुआ था जिस कारण वे परम तेजस्वी, ओजस्वी, पराक्रमी और शौर्यवान थे। कठिन तपस्या के बाद सर्वशक्तिमान शिव ने परशुराम को मृत्युलोक के कल्याण के लिए परशु अस्त्र प्रदान किया था इसलिए वह बाद में वे परशुराम कहलाए। भगवान परशुराम के जीवन से हमें अन्याय का विरोध करने की प्रेरणा मिलती है।
परशुराम सेना के प्रदेश महासचिव सुधीर राय ने भगवान परशुराम को शस्त्र और शास्त्र का पुरोधा बताते हुए कहाकि भगवान विष्णु के छठवें अवतार परशुराम जी ने त्रेतायुग में अत्याचारी सम्राट सहस्रार्जुन और अनेक विधर्मी राजाओं का नाश करके जनता में व्याप्त भय व असुरक्षा के माहौल को समाप्त कर धर्म की स्थापना की। वे महान तपस्वी व ज्ञानी थे।
समाजसेविका सुनीता उपाध्याय ने कहाकि पृथ्वी पर अन्याय, अत्याचार को समाप्त करते हुए भगवान परशुराम ने धर्म की स्थापना किया। उनका जीवन न्याय प्रियता, वीरता, तपस्या से परिपूर्ण है ऐसे में हम भगवान परशुराम से सीख लेकर ही मानव जीवन को कल्याणकारी बना सकते है।
साहित्यकार संजय कुमार पांडेय सरस ने कहाकि भगवान परशुराम जी न्याय प्रिय थे और हमेशा सत्य और न्याय के साथ रहते थे। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। संचालन मनोज पांडेय ने किया।
इस अवसर पर परशुराम सेना के प्रदेश अध्यक्ष संजय दूबे, प्रदेश महासचिव सुधीर राय, समाजसेविका सुनीता उपाध्याय व साहित्यकार संजय कुमार पांडेय, पुनीत उपाध्याय, मनोज पांडेय, अजीत राय आदि मौजूद रहे।

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