जयपुर प्रेरणा दर्पण साहित्यिक एवम् सांस्कृतिक मंच और साहित्य 24 के संयुक्त तत्वावधान में 13 मई 2025 को सायं 8:00 बजे एक सुंदर मासिक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। संयोगवश यह दिन मंच की दिल्ली प्रदेशाध्यक्षा सुनीला नारंग का जन्मदिन भी था, जिसकी वजह से गोष्ठी का उत्साह और उल्लास दोगुना हो गया।
गोष्ठी की अध्यक्षता मंच संरक्षक डॉ० सी० एम० भगत ने की, जबकि गोष्ठी का संचालन मंच के संस्थापक हरिप्रकाश पाण्डेय के मार्गदर्शन में मंच की उपाध्यक्षा शिखा खुराना द्वारा अत्यंत कुशलता से किया गया।
गोष्ठी की शुरुआत चंचल हरेंद्र वशिष्ठ ने मधुर स्वर में सरस्वती वंदना गा कर की, जिससे वातावरण में आध्यात्मिक और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो उठा।
तत्पश्चात सुनीला नारंग ने अपनी भावपूर्ण रचना ‘मां वो है जो बस देती है’ के माध्यम से मातृत्व के अद्भुत स्वरूप को सजीव कर दिया।
प्रबल प्रताप सिंह राणा ‘प्रबल’ ने अपनी रचना में प्रियतम के साथ समय बिताने की मधुर कल्पना प्रस्तुत करते हुए सुनीला जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी दीं।
चंचल हरेंद्र वशिष्ठ ने अपनी रचना ‘साड़ियों में फॅंसी जान’ प्रस्तुत कर साड़ी के प्रति प्रेम को अत्यंत रचनात्मक अंदाज़ में मंच पर पेश किया।
राजेश कुमार ‘राज’ ने लॉन्ग डिस्टेंस और ऑनलाइन प्रेम के वर्तमान चलन पर हास्य-रस से सराबोर अपनी एक रचना ‘लाॅन्ग डिस्टैंस का प्यार’ के ज़रिए श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया।
पुनिता सिंह ने मित्रता की गरिमा को समर्पित अपनी कोमल और संवेदनशील रचना द्वारा सबका मन मोह लिया।
अंजू अग्रवाल उत्साही ने भी सुनीला नारंग को जन्मदिन की बधाई देते हुए एक उम्र के बाद मन में शेष रह जाने वाली तमन्नाओं को काव्य-माला में सुंदरता से पिरोया।
शिखा खुराना ने अपनी रचना ‘चलो मिलते हैं मुस्कुराकर, शोखियों को हवा देते हैं’ सुनाकर गोष्ठी को एक नया आयाम प्रदान किया।
डॉ० सी० एम० भगत ने सुनीला नारंग को शुभकामनाएं देते हुए अपनी सरस कविता से सभी को भाव-विभोर कर दिया। अंत में हरिप्रकाश पाण्डेय ने एक चित्ताकर्षक एवम् भावपूर्ण वीडियो प्रस्तुत कर जन्मदिन को और भी विशेष बना दिया।
गोष्ठी के दौरान सभी साहित्य प्रेमियों ने मिलकर ‘बार-बार दिन ये आए’, ‘हम भी अगर बच्चे होते’ जैसे गीतों की मधुर प्रस्तुतियाँ दीं।
गोष्ठी का समापन शिखा खुराना द्वारा गाए गए सजीव गीत “सौ साल जियो तुम, जान मेरी” के साथ हुआ, जिसने समूचे वातावरण को भावनाओं और शुभकामनाओं से भर दिया। यह गोष्ठी न केवल काव्यात्मक बल्कि आत्मीयता, सौहार्द और सृजनात्मक ऊर्जा से भी भरपूर रही, जिसे सभी प्रतिभागी लंबे समय तक याद रखेंगे।

