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बलौदाबाजार जिला में शासन प्रशासन एवं कंपनियों के बीच कचरे का खेल

कंपनी के द्वारा वातावरण को किया जा रहा प्रदूशित

कचरे के खेल में क्या अनुबंध बनता है, जांच का विषय

राघवेंद्र सिंह
बलौदाबाजार/दैनिक अमर स्तंम्भ

बलौदाबाजार जिले में कई बड़े सीमेंट उद्योग हैं जिससे लगातार आम जनता को समस्या ही होती आई है कंपनीयों के द्वारा सड़क की समस्या तो कभी पानी की समस्या स्कूल की समस्या हॉस्पिटल की समस्या एवं हैवी ब्लास्टिंग से घरों में दरार की समस्या कंपनी की बड़ी वाहनों से एक्सीडेंट की समस्या तो कभी कंपनियों में मजदूरों के ऊपर दुर्घटना की समस्या ऐसे निम्न प्रकार की समस्याओं को क्षेत्रवासी झेलते आ रहे हैं इस बीच अब एक और खेल नगर के कचरो का जो शासन प्रशासन के इशारों में सभी सीमेंट उद्योगों में अन्य जिला जैसे बिलासपुर दुर्ग रायपुर जैसे बड़ी-बड़ी शहर एवं नगर से जहरीले सड़े गले कचरे को बड़ी-बड़ी वाहनों में लाद कर लाते हैं ट्रक यार्ड में खड़ा करते हैं और जिससे आसपास वातावरण में बदबू फैलना चालू हो जाता है और इस कचरे को कंपनी में ले जाकर कीलन में डालकर जला दिया जाता है और जहरीले धुएं को वातावरण में छोड़कर वातावरण को प्रदूषित किया जाता है जिस पर शासन प्रशासन एवं कंपनी प्रबंधन के द्वारा आमजन को बिना बताए कचरे का व्यापार किया जा रहा है और लोगों के आंखों में धूल झोंका जा रहा है अगर सरकार यह सफाई के उद्देश्य से कंपनी को कचरा दे रही है तो क्षेत्र के कचरे को क्यों सफाई नहीं किया जा रहा है आसपास शहर जैसे बलौदाबाजार, पलारी,भाटापारा, तिल्दा, सिमगा, जैसे शहरों का कचरा क्यों सफाई नहीं किया जाता। सवाल यह भी है कि क्या यह कचरा जब नगर वासियों से मनी कंचन केंद्र पर जाता है तो वहां पर क्या-क्या होता है और वहां से अगर यह कचरा सीधे तौर पर संयंत्र में जा रहा है तो क्या अनुबंध होता है हालांकि कचरे से संबंधित कई सारी बातें हैं जिसे प्रशासन संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही करें दिशा निर्देश दे ताकि आम जनमानस में उनकी जानकारी स्पष्टा से प्राप्त हो।

कचरे से अनेक उपयोगी चीजें बनाई जा सकती हैं, जैसे कि बिजली, खाद, कागज, और विभिन्न प्रकार के उत्पाद. 

कचरे से बनने वाली उपयोगी चीजें:

ऊर्जा:

कचरे, खासकर जैविक कचरे को भस्मीकरण या अवायवीय पाचन जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है. इससे बिजली, गर्मी, या जैव ईंधन पैदा किया जा सकता है. 

खाद:

गीले कचरे को खाद में बदला जा सकता है, जो पौधों के लिए एक उत्कृष्ट पोषक स्रोत है. 

कागज:

सूखे कचरे को पुनर्चक्रण करके कागज बनाया जा सकता है. 

अन्य उत्पाद:

प्लास्टिक, धातु, और अन्य सामग्रियों को पुनर्चक्रण या अपसाइक्लिंग करके विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाए जा सकते हैं, जैसे कि बैग, फर्नीचर, और सजावटी वस्तुएं. 

सड़कों का निर्माण:

प्लास्टिक कचरे का उपयोग करके सड़कों का निर्माण किया जा सकता है. 

बिजली:

कुछ देशों में, कचरे को जलाकर बिजली बनाई जा रही है. 

बायोगैस:

जैविक कचरे से बायोगैस भी बनाई जा सकती है. 

वर्मीकंपोस्ट:

गीले कचरे से वर्मीकंपोस्ट (कृमि खाद) भी बनाया जा सकता है, जो एक और उत्कृष्ट खाद है. 

यह महत्वपूर्ण है कि कचरे को अलग-अलग करके और उसे रीसायकल करके उपयोगी उत्पादों में बदल कर, हम पर्यावरण को सुरक्षित रखने और संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकते हैं।

संयंत्रों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है क्योंकि यह वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन में योगदान करता है. 

वायु प्रदूषण:

धुएं में मौजूद हानिकारक गैसें और कण वायुमंडल में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियां होती हैं. 

धुएं से ओजोन प्रदूषण भी होता है, जो एक जहरीला यौगिक है जो फेफड़ों में जलन पैदा करता है. 

धुएं में मौजूद भारी धातुएं, जैसे क्रोमियम और निकल, सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं. 

जल प्रदूषण: 

धुएं में मौजूद कण और भारी धातुएं बारिश के पानी के साथ मिलकर नदियों, झीलों और अन्य जल निकायों को प्रदूषित कर सकती हैं.

यह जल प्रदूषण जलीय जीवों को नुकसान पहुंचाता है और पानी के पीने योग्य होने की क्षमता को कम करता है.

मिट्टी प्रदूषण: 

धुएं में मौजूद कण मिट्टी पर जमा होकर उसकी रासायनिक संरचना को बदल सकते हैं और पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं.

कुछ भारी धातुएं, जो धुएं में मौजूद होती हैं, मिट्टी में जमा होकर फसलों को दूषित कर सकती हैं.

जलवायु परिवर्तन: 

धुएं में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) जैसी ग्रीनहाउस गैसें जलवायु परिवर्तन में योगदान करती हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और अन्य जलवायु परिवर्तन संबंधी घटनाएं होती हैं.

फसल जलाने से निकलने वाले धुएं से भी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है.

अन्य नुकसान:

धुएं से इमारतों और अन्य संरचनाओं को नुकसान हो सकता है. 

धुएं से दृश्यता कम हो सकती है और प्रदूषण के कारण धुंध और स्मॉग की समस्या हो सकती है. 

निष्कर्ष:

संयंत्रों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है, और इसके प्रभाव को कम करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपाय और टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना आवश्यक है. 

राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा
कलेक्टर दीपक सोनी
अपर कलेक्टर दीप्ती गोते
एसडीएम अंशुल वर्मा —ने फोन नहीं उठाया

नगर पालिका मुख्य कार्यकाल अधिकारी बता पाएंगे

  राम रतन दुबे 

एसडीएम कसडोल

कचरे का खेल बहुत जोरों शोरों से चल रहा है हम जिलाधीश से जांच की मांग करेंगे

मनहरण साहू
उ.बा.सा.ठा. जिलाध्यक्ष ब.भा.

इस तरह से पर्यावरण का प्रदूषण होना चिंता जनक विषय है जल्द इस पर जांच होनी चाहिए

      इंद्रकुमार साव 

विधायक भाटापारा विधानसभा

पर्यावरण विभाग आखिर ऐसे मामलों में करती क्या हैं
इसके लिए हम प्रशासन से और शासन से बात करेंगे

संदीप साहू
कसडोल विधानसभा

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