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बलौदाबाजार पुलिस महकमे में टीआई अजय झा “एक अफसर या अजेय शक्ति

बलौदाबाजार/दैनिक अमर स्तंम्भ

जिले का पुलिस महकमा इन दिनों एक अनोखे कारण से चर्चा का विषय बना हुआ है। कारण है—सिटी कोतवाली के थानेदार निरीक्षक अजय झा। लम्बे समय से इसी कुर्सी पर जमे अजय झा को न तो विभागीय तबादलों की लहर हिला सकी है, और न ही शासन की सख्त निगाहें। आम जनता से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि तक हैरान हैं—आखिर क्या कारण है कि एक थाना प्रभारी को हटाना इस कदर मुश्किल हो गया है? आपको बतादे की अपने नाम के अनुरूप सिटी कोतवाली में पदस्थ निरीक्षक अजय झा इन दिनों जनता और विभागीय गलियारों में चर्चा का सबसे बड़ा कारण बने हुए हैं। वर्षों से एक ही थाने की जिम्मेदारी संभालते हुए, झा की स्थिति इतनी सुदृढ़ हो गई है कि मानो उन्हें प्रशासनिक नियमों से कोई सरोकार ही नहीं। लगातार तबादलों की लहरें आती जाती रहीं, लेकिन उनकी कुर्सी कभी हिली ही नहीं।

भयावह आगजनी घटना और रहस्यमय चुप्पी

बलौदाबाजार में पिछले साल हुई संयुक्त जिला कार्यालय भवन में आगजनी की घटना ने जिले की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी थी। राज्य सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जिले के तत्कालीन कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को निलंबित कर दिया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, घटना स्थल का सीधा प्रभार संभालने वाले निरीक्षक अजय झा पर न तो कोई जांच हुई, न ही विभागीय कार्यवाही। यह चुप्पी अब रहस्य का रूप ले चुकी है—क्या अजय झा ‘अस्पर्शनीय’ हैं?

तबादलों की आँधी, लेकिन एक नाम अडिग

आगजनी के घटना के बाद व्यवस्था संभालने आये एसपी विजय अग्रवाल ने अपने कार्यकाल में कई थाना प्रभारियों का तबादला किया, नई जिम्मेदारियाँ दीं, लेकिन अजय झा को उनकी सीट से न हटा सके। अब हाल ही में नियुक्त हुईं पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता ने भी जिले के लगभग सभी थाना और चौकियों के प्रभारियों की फेरबदल कर दी, पर अजय झा की कुर्सी जस की तस बनी रही। यह स्थायित्व आम जनमानस में चर्चा का विषय बना हुआ है।

अभयदान’ का राज: राजनीतिक संरक्षण या कुछ और

स्थानीय नागरिकों और जागरूक समूहों में यह सवाल गूंज रहा है—क्या एक टीआई इतना ताकतवर हो सकता है कि सरकार और विभाग दोनों उस पर हाथ न डालें? सूत्रों की मानें तो जिले के एक प्रभावशाली नेता का वरदहस्त अजय झा को प्राप्त है, जिससे उनका “अभयदान” बना हुआ है।जिले के इस बेहद प्रभावशाली राजनेता का खुला संरक्षण प्राप्त होने के कारण ही प्रशासनिक फेरबदल, जांच, यहां तक कि गंभीर घटनाओं के बाद भी टी आई अपने पद पर बने हुए हैं। सवाल यह उठता है कि क्या पुलिस तंत्र अब नेताओं की मर्ज़ी से संचालित हो रहा है?

प्रशासनिक कसावट पर सवाल

जहां प्रदेश में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की बात की जाती है, वहीं एक थानेदार का वर्षों से एक ही स्थान पर टिके रहना और बार-बार की घटनाओं के बावजूद कार्रवाई से बचना, पूरे सिस्टम पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। क्या कानून सबके लिए समान नहीं होना चाहिए? क्या स्थानांतरण जैसी प्रशासनिक प्रक्रिया अब केवल औपचारिकता बनकर रह गई है? यदि किसी अधिकारी को किसी भी परिस्थिति में संरक्षण प्राप्त है, तो यह लोकतंत्र और कानून के शासन की मूल आत्मा पर आघात है।

नियमों की अनदेखी या सत्ता की छाया

पुलिस मैनुअल के अनुसार, किसी भी थाना प्रभारी का लंबे समय तक एक ही स्थान पर बने रहना हितकारी नहीं माना जाता। लेकिन अजय झा इस सामान्य प्रशासनिक सिद्धांत से परे नजर आते हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे स्थानांतरण की प्रक्रिया, नियमों की कसौटी और जवाबदेही की भावना, सब उनके लिए अप्रासंगिक हो गई हो।बतादे कि बलौदाबाजार में टीआई अजय झा की स्थायी पोस्टिंग अब केवल प्रशासनिक मामला नहीं रहा। यह जनता की निगाहों में एक गंभीर सवाल बन चुका है—प्रशासनिक निष्पक्षता, राजनीतिक हस्तक्षेप और पुलिस व्यवस्था की पारदर्शिता पर। यदि समय रहते उत्तर नहीं दिया गया, तो यह मुद्दा प्रदेशव्यापी जनचेतना और असंतोष में बदल सकता है।बलौदाबाजार की सिटी कोतवाली पूरी तरह से अवैध गतिविधियों का अड्डा बन गया है। और क्षेत्र में अवैध शराब, गांजा, जुआ-सट्टा जैसे अपराध चरम पर हैं। आम नागरिक जब अपनी समस्या लेकर थाने पहुँचते हैं, तो टीआई का व्यवहार न केवल रुखा होता है बल्कि अपमानजनक भी होता है। पीड़ित न्याय की आस में थाने पहुँचते हैं, लेकिन उन्हें धूत्कार कर लौटा दिया जाता है, जिससे वे रिपोर्ट दर्ज कराने से भी डरते हैं जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों के साथ भी टीआई का व्यवहार अपमानजनक रहा है, जिससे क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त है। जनता का विश्वास पुलिस व्यवस्था से उठता जा रहा है। यह स्थिति न केवल कानून व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि आम नागरिकों के अधिकारों का भी सीधा उल्लंघन है।बलौदाबाजार प्रेस क्लब अध्यक्ष नरेश गनशानी ने बताया की जल्द ही पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री एवं पुलिस महानिर्देशक से मिल कर इस विषय पर चर्चा कर ज्ञापन देगा….

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