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मर्दनपुर स्थित समाधा आश्रम की नींव कैसे पड़ी

मुकेश कुमार
कानपुर (अमर स्तम्भ)।
समाधा आश्रम जिसकी नींव 1796 में उदासीन प्रथम पातशाही स्वामी हरभजन जी महाराज जी ने तब के अखंड भारत के शिकारपुर जो कि अब सिंध पाकिस्तान में स्थित है!जिसको आगे बढ़ाते हुए छठी पातशाही स्वामी शिवभजन महाराज तब के महा कुंभ 1977 में भारत आगमन हुआ तो कानपुर शहर में आ कर सबसे बियाबान एवं खतरनाक जंगल जैसे स्थान जिसको मर्दनपुर बोलते है वहां समाधा आश्रम की नीव 1977 शिवरात्रि के दिन की जो कि आज मानव कल्याण के लिए एक मिसाल बन गया हैँ यहां पर शिवरात्रि में मनोकामना पूर्ति 48 घंटे का हवन यज्ञ होता हे जिसमें आज तक लाखों भगतो का कल्याण हुआ हे नेत्र चिकित्सा, दवाखाना, कांडडी साहिब ( कल्प वृक्ष), भंडारा, 72 गयो की गौशाला निरंतर चलता रहता हे और यह सब बिल्कुल निःशुल्क है और किसी भी तरह से कोई भी दान लेने आश्रम के बाहर रसीद लेकर नहीं जाता है स्वामीनारायण भजन जी महाराज जो कि सातवीं पातशाही है कि भारत यात्रा जो की कानपुर आश्रम के अगले साल स्वर्ण शताब्दी समारोह के कार्यक्रम की तैयारी को देखते हुए की है जो की पूरे हिंदुस्तान व सिंध पाकिस्तान के समस्त समाधा आश्रम में मनाएंगे।समांथा आश्रम के स्वामी नारायण भजन जी महाराज जी ने सर्व कल्याण हेतु आज कोपरगंज कानपुर हमराज रेडीमेड अग्निकांड कांड में जली हुई मार्केट जो की गिरा दी गई थी उसकी भूमि पर जल का छिटा मार कर उसको जल्द से जल्द बनाने हेतु पल्लव अरदास आज कोपरगंज ए आर मसूद टावर में की मौके पर नगर अध्यक्ष गुरजिंदर सिंह मनीष वसंदानी हरीश रामचंदानी , दीपक वसंदानी, खुशहाल दास, विशेष पुरुस्वानी ,माता राजेश्वरी देवी आदि मौजूद रहे.

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