
बिल्हा से राघवेंद्र सिंह की रिपोर्ट,,,,,
आज बिल्हा के शनिचरी बाजार मे स्थिति भगवान विश्वकर्मा के मंदिर मे काब्य गोष्ठी का आयोजन किया
जिसमें वरिष्ठ कवि एम एल तिवारी शायर जगदीश सोनी,
केदारनाथ दुबे,डाॅ जगदीश कुलदीप,डॉक्टर चन्द्रशेखर यादव,राजकुमार मिश्रा,वकील राजकुमार मानिकपुर,वकील अनिल मानिकपुरी, चन्द्रप्रकाश छावड़ा,दिलीप बंजारे,
राम नाथजी उपस्थित रहे।
सभीकवि ने अपनी कविता सुनाई
हास्य ब्यंग के कवि डा चन्द्रशेखर ने पाक एवं बांग्लादेश को लताड़ा
अरे पाक अऊ बंगाला देश
ब.इठे चीन के गोदी मा
चुंदी धर के तिरत लाही
दम हे आतका मोदी म
इजराइल के मन न ई माढि़स
रूस होगे बड़ खुश
अचेत परे हे पाकिस्तान
अमेरिका पियावय जूस
केदार जी ने अपनी कविता
विश्वशांति के अग्रदूत है
हम सजग प्रहरी एवं जगदीश सोनी ने अपनी कविता कुछ ऐसा करे इस बदलते परिवेश मे
कि एक एक आदमी समुच्चा हिन्दूस्तान हो जाए छावड़ा जी ने अपील की हमारी सेना गोपनीयता भंग करने का हक किसी को नहीं
मंच का संचालन केदार जी ने किया
रामनाथ जी ने आभारप्रकट किया खुशनुमा माहौल में काव्य गोष्ठि का आयोजन किया गया।
,,,काव्य में रूप क्या होते हैं,,,,
रूप एक कविता की संरचना है, जिसमें इसकी पंक्ति की लंबाई, पंक्ति विराम, मीटर, छंद की लंबाई और तुकबंदी योजना शामिल है।हर कविता का एक रूप होता है, लेकिन कुछ रूप व्यक्तिगत कविताओं के लिए अद्वितीय होते हैं और कुछ अधिक व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं और उनमें अपने स्वयं के नियम और पैरामीटर शामिल होते हैं।
,,,काव्य किसे कहते हैं ,,,
कविता क्या है? कविता साहित्य का एक प्रकार है जो एक विचार व्यक्त करती है, एक दृश्य का वर्णन करती है या शब्दों की एक केंद्रित, गीतात्मक व्यवस्था में एक कहानी बताती है । कविताएँ संरचित हो सकती हैं, तुकांत पंक्तियों और मीटर के साथ, शब्दांश बीट्स के आधार पर एक पंक्ति की लय और जो।
काव्य गुण तीन प्रकार के होते हैं: माधुर्य गुण, ओज गुण, और प्रसाद गुण।
,,,काव्य की प्रमुख विशेषता क्या है,,,
भावनात्मक अभिव्यक्ति और सौंदर्य गुणों जैसी विशेषताएँ कविता के सार को परिभाषित करती हैं, जो इसे साहित्यिक कला का एक अनूठा और आकर्षक रूप बनाती हैं। भावनाओं को गहरे प्रभाव के साथ व्यक्त करने और सौंदर्यपूर्ण रूप से मनभावन रचनाएँ बनाने की अपनी क्षमता के माध्यम से, कविता पाठकों को प्रेरित और प्रतिध्वनित करना जारी रखती है।
श्री विश्वकर्मा मंदिर बिल्हा में आमंत्रित अतिथि एम.एल.तिवारी, जे.पी.सोनी,केदारनाथ दुबे, जे.पी.कुलदीप, डॉ सी.एस.यादव, आर.के.मिश्रा, सी.पी.छाबड़ा,लोकनाथ निर्मलकर,राजकुमार मानिकपुरी, अनिल कुलदीप, आर.के.दुबे, गिरधर यादव आदि लोग उपस्थित रहे जहां आज भारत माता की के साथ काव्य गोष्ठी का समापन हुआ।