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विश्व-विख्यात आध्यात्मिक सत्गुरु संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आई.आई.टी. कानपुर में प्रेरणादायक व्याख्यान दिया

मुकेश कुमार
कानपुर (अमर स्तम्भ)।
विश्व-विख्यात आध्यात्मिक गुरु और साइंस ऑफ स्पिरिचुएलिटी के प्रमुख परम पूजनीय संत राजिन्दर सिंह महाराज ने शाम एक शानदार कार्यक्रम में आई.आई.टी. (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) कानपुर में अपना प्रेरणादायक व्याख्यान दिया।
दर्शकों से खचाखच भरे मुख्य ऑडिटोरियम में ध्यान-अभ्यास के द्वारा जीवन में बदलाव लाने वाली विधि के बारे में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने समझाते हुए कहा कि यह तकनीक हमारे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
“शांत होकर, अपने भीतर की शक्ति को जगाओ” विशय पर अपने व्याख्यान में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने बताया कि ध्यान-अभ्यास किस तरीके से हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर करने के मार्ग को प्रशस्त करते हुए तनाव को कम करता है और हमारे जीवन में शांति, स्थिरता और संतुलन लाता है। इसके साथ-साथ ये हमारे जीवन की रोजमर्रा की चुनौतियों से निपटने तथा हमारे अंतर में छुपे आंतरिक आध्यात्मिक खज़ानों को खोलने में मदद करता हैं। एक बार जब हम इस आंतरिक आध्यात्मिक खज़ानों का अनुभव कर लेते हैं तो हमारा मन शांत हो जाता है और हम अपने मिलने वाले सभी लोगों में शांति फैलाते हैं।

महाराज जी ने आगे फरमाया कि, “यहां आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। आई. आई. टी. मद्रास में पढ़ाई करने के कारण मेरा आई.आई.टी. से खास जुड़ाव रहा है। विद्यार्थी के रूप में आप जीवन के सबसे अच्छे दौर से गुज़रते हैं। शिक्षा, खासतौर पर आई.आई.टी. में, हमें गहराई से सोचने और प्रश्न करने के लिए प्रेरित करती है। हम जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझना चाहते हैं और युवा व्यक्ति के रूप में हम यह अक्सर मानते हैं कि खुशी बाहरी मौज-मस्ती और पार्टी से मिलती है। हालांकि जैसे-जैसे हम जीवन से गुज़रते हैं तो हम यह महसूस करते हैं कि असली खुशी बाहरी शोर में नहीं बल्कि शांत अवस्था में जाने में है। शांत अवस्था या ध्यान-अभ्यास में बैठकर ही हम स्थायी आनंद का अनुभव करते हैं।
एक बार जब हम अपनी शिक्षा पूरी कर लेते हैं तो हम वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में फंस जाते हैं। जिसमें हमें विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता हे। संचार के बढ़ते साधनों और तेजी से सिकुड़ती दुनिया के साथ हम खुद को विभिन्न संस्कृतियों और मान्यताओं वाले लोगों के साथ बातचीत करते हुए पाते हैं। ऐसे कई प्रकार के सांस्कृतिक वातावरण में श्रेश्ठता प्राप्त करने के लिए हमें अपने भीतर स्थिर होना चाहि। हम इस आंतरिक शांति को कैसे प्राप्त कर सकते हैं? यह तब होता है जब हम आनंद और शांति के परम स्त्रोत पिता-परमेश्वर के साथ जुड़ते हैं।
पूर्व वैज्ञानिक और आई.आई.टी मद्रास के पूर्व छात्र आध्यात्मिक गुरु संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आधुनिक जीवन की चुनौतियों का समाधान करने के लिए अपनी वैज्ञानिक पृश्ठभूमि का सहारा लिया।
उन्होंने निश्कर्श निकालते हुए कहा कि ध्यान-अभ्यास हमें संतुलित जीवन और सभी पहलुओं में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे हम शांति और आनंद की स्थित में पहुंचते हैं। ध्यान-अभ्यास के माध्यम से अपने आंतरिक आध्यात्मिक खजानों से जुड़कर हम स्थायी खुशी और शांति का जीवन जी सकते हैं।
इसके बाद संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आई.आई.टी…के छात्रों, शिक्षकों और विशिश्ट अतिथियों सहित उपस्थित दर्शकों को थोड़े समय के लिए ध्यान-अभ्यास की बैठक पर बिठाकर उन्हें आंतरिक शांति का अनुभव प्रदान किया।
अंत में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने उपस्थित दर्शकों के अध्यात्म, शांति और ध्यान-अभ्यास पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दिये।
कार्यक्रम का समापन बहुत ही सुंदर ढंग से हुआ, जिसमें संत राजिन्दर सिंह जी महाराज दर्शकों के बीच आए तथा उन्हें आशीर्वाद देकर उनसे बातचीत की। जिससे सभी का मन व हृदय तृप्त हो गया।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज एक गैर-लाभकारी संगठन सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख हैं और जिसे साइंस ऑफ स्पिरिचुएलिटी के नाम से भी जाना जाता है। वे अंतर्राश्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विश्व-विख्यात आध्यात्मिक सत्गुरु हैं। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज अध्यात्म पर सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तकों के सुप्रसिद्ध लेखक भी हैं। उनकी पुस्तकें विश्व की 55 से अधिक भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी प्रमुख पुस्तकें जिसमेंDetox the Mind, Meditation as Medication for the soul और Inner and Outer Peace through Meditation आदि शामिल हैं। इसके अलावा कई प्रकार की सत्संग DVD, Audio Books, लेख, टीवी, रेडियो और इंटरनेट प्रसारण और सोशल मीडिया के माध्यम से लाखों लोगों को ध्यान-अभ्यास की विधि सिखाकर उन्हें अपने वास्तविक आत्मिक रूप से जुड़ने में मदद करते हैं।

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