लखनऊ। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के उपनगरीय, हैदरगढ़ डिपो से एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है।सरकारी डिपो में पदस्थ कर्मचारी ही बन गए हैं ‘ऑयल माफिया’।डिपो के नियमित कर्मचारी संजय कुमार शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने रात्रि पाली में ड्यूटी के दौरान Bs6 (CK4) इंजन ऑयल की 08 लीटर मात्रा महज़ 1000 रुपए में बेच दी, और जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।
इतना ही नहीं, उन्होंने नया और पुराना इंजन ऑयल—जिसमें 140 नंबर क्राउन ऑयल और 90 नंबर इंजन ऑयल शामिल है—आपस में मिलाकर गाड़ियों में भर दिया।इसका सीधा असर उन नई बसों पर पड़ा है जो हाल ही में डिपो में आई थीं। गाड़ियों के इंजन खराब हो रहे हैं, और इससे परिवहन निगम को लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है। लेकिन मामला यहीं नहीं रुकता…

राजीव कुमार पर यूरिया फिल्टर किट बेचने के आरोप हैं।
सुरेश चंद डिपो में काम के बदले पैसे लेते हैं, यानि रिश्वतखोरी का खुला खेल।
सबसे गंभीर बात ये है कि — इस पूरे भ्रष्टाचार पर डिपो के जगदीश प्रसाद सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक और केंद्र प्रभारी पूरी तरह से चुप हैं।
ना कोई जांच, ना कार्रवाई — ऐसा लगता है जैसे इस घोटाले पर उनकी मौन स्वीकृति हो।
अब सवाल ये है कि — जब भ्रष्टाचार का गंदा तेल सरकारी बसों की नसों में दौड़ाया जा रहा है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
क्या लखनऊ मुख्यालय इस पर संज्ञान लेगा या सबूतों के बावजूद यह फाइलों में ही दफ्न हो जाएगा?