
बलौदाबाजार से राघवेंद्र सिंह की रिपोर्ट,,,,,
हिंदू संस्कृति में मनुष्य के जीवन के अलग अलग पड़ावों को संस्कारों के साथ पवित्र बनाया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार । यह संस्कार बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है। इसका आयोजन बच्चे के 3 से 5 साल के होने पर किया जाता है। विद्यारंभ संस्कार में माता-पिता गुरु या विद्वान पंडित की उपस्थिति में विशेष पूजा-अर्चना करके बच्चे को पहली बार अक्षर लेखन करवाते हैं। ये संस्कार बच्चों के उज्जवल भविष्य की नींव रखने का कार्य करता है और उन्हें ज्ञान की तरफ प्रेरित करता है।स्थानीय विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर बलौदाबाजार में ऐसे ही नव प्रवेशी छात्र-छात्राओं को नगर के राम मंदिर में पंडित जी के उपस्थिति में विद्यारम्भ कराया गया ।
विद्यालय संचालन समिति के मा.अध्यक्ष विजय केसरवानी ,सचिव राजनारायण केसरवानी ,उपाध्यक्ष खोड़स कश्यप एवं प्राचार्य त्रिलोचन साहू ने नव प्रवेशी छात्र-छात्राओं को अपनी शुभकामनाएं दी ।
पूरे कार्यक्रम का संचालन शिशु वाटिका प्रमुख श्रीमती मनीषा यादव ने की ।