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सायंकालीन अदालतें भी अधिवक्ता संशोधन विधेयक की भांति स्वीकार नही, अधिवक्ता करेंगे सायंकालीन अदालतों का विरोध

पप्पू यादव (सह सम्पादक)

कानपुर (अमर स्तम्भ)। अधिवक्ताओं की बैठक भारत सरकार के प्रस्तावित सायंकालीन अदालतों के प्रस्ताव पर हुई जिसमे बोलते हुए पं रवींद्र शर्मा पूर्व अध्यक्ष लॉयर्स एसोसिएशन ने कहा कि भारत सरकार की योजनानुसार वर्तमान अदालतों में ही शाम को 5 बजे से 9:00 बजे रात तक सायंकालीन अदालतें काम करेगी इनमें मामूली अपराध के मामले चेक विवाद के मामले और संक्षिप्त सुनवाई वाले मामले होंगे जिसके लिए सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों और सेवानिवृत्त अदालती कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। जिसपर हितधारको से राय शुमारी होनी है प्राथमिक हितधारक के रूप में अधिवक्ताओं की राय ली जा रही है । हमारा मानना है कि इस प्रस्ताव के द्वारा जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय में न्यायिक अधिकारियों की कमी को पूरा न करने और पेंडेंसी को कम करने के बहाने न्यायपालिका को कमजोर करते हुए अधिवक्ताओं को थका देने वाली न्याय प्रणाली का हिस्सा बनाकर अधिवक्ता वृत्ति से बाहर करने का षड्यंत्र प्रतीत हो रहा है एक तरफ जिला अदालतों में प्रातः 10:30 बजे से लेकर शाम 4:30 तक न्यायिक कार्य होते हैं उसके बाद फाइलों को समेटने और दूसरे दिन की फाइलों को लगाने से लेकर साफ सफाई कर कोर्ट रूम को बंद करने में शाम का 6:30 कभी कभी 7 बज जाता है उन्ही कमरों में संध्याकालीन अदालतों की स्थापना सोच से परे है जो हमें स्वीकार नही है हमारी भारत सरकार से मांग है कि तत्काल सायंकालीन अदालतों के प्रस्ताव को वापस ले अन्यथा अधिवक्ता आंदोलन को बाध्य होंगे। अधिवक्तागण प्रातः 9से 10 बजे घरों से निकल कचहरी आते है इन अदालतों के आने से अधिवक्ता रात्रि 9 बजे तक काम कर रात्रि 10 से 11 बजे घर पहुंचेगा। कब मुकदमे तैयार करेगा ये गंभीर विचारणीय प्रश्न है
हम अधिवक्तागण सायंकालीन अदालतों का भी अधिवक्ता संशोधन विधेयक की तरह पुरजोर विरोध करेंगे और अपनी मुख्य संस्थाओं से भी इसका विरोध करने के लिए अनुरोध करेंगे।
प्रमुख रूप से राम नवल कुशवाहा कोषाध्यक्ष बार एसोसिएशन अरविन्द दीक्षित मो कादिर खा संजीव कपूर शंभू मिश्रा दानिश कुरैशी अनुराग अग्निहोत्री आयुष शुक्ला शिवम गंगवार अजय राठौर राजन पटेल वीर जोशी शाहिद जमाल प्रियम जोशी आदि रहे।

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