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पुराने पहियों में नई जान: उत्तर प्रदेश में परिवहन क्रांति की शुरुआत

डीजल से इलेक्ट्रिक की ओर तेज़ी से बढ़ता यूपी, झांसी-ललितपुर रूट पर दौड़ेंगी पहली रिट्रोफिट बसें – परिवहन मंत्री

लखनऊ | उत्तर प्रदेश की सड़कों पर अब केवल सफर नहीं, तकनीकी परिवर्तन की आहट गूंजेगी। परिवहन विभाग ने एक ऐसी पहल शुरू की है, जो केवल बसों को नहीं, पूरे सिस्टम की सोच को बदलने जा रही है।इस ऐतिहासिक पहल के नायक हैं परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, जिन्होंने ठान लिया है कि यूपी का ट्रांसपोर्ट सिस्टम अब सिर्फ तेज़ नहीं, बल्कि स्वच्छ, सस्ता और सतत होगा।

जहां अंत होता था, अब वहीं से नई शुरुआत है

अब तक की नीति में 10 वर्ष या 11 लाख किमी चल चुकी बसों को नीलामी के ज़रिए बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता था। लेकिन अब वही बसें दोबारा लौटेंगी—इस बार प्रदूषण से मुक्ति का वादा लेकर।कानपुर की राम मनोहर लोहिया वर्कशॉप में दो पुरानी डीज़ल बसों को पूरी तरह इलेक्ट्रिक बसों में बदला जा चुका है। इनका ट्रायल अब झांसी-ललितपुर मार्ग पर किया जाएगा।

दयाशंकर सिंह: परिवर्तन के पथिक

इस पहल में दयाशंकर सिंह सिर्फ एक मंत्री नहीं, एक विज़नरी नेता की भूमिका में हैं। उन्होंने ये साबित किया है कि बड़ा बदलाव केवल बड़ी योजनाओं से नहीं, व्यावहारिक समझदारी और दूरदर्शिता से भी लाया जा सकता है।इन रिट्रोफिटमेंट बसों का तकनीकी सहयोग मिल रहा है कल्याणी पावर ट्रेन लिमिटेड और मेसर्स जीरो 21 से। खर्च कंपनियाँ उठाएंगी, जबकि बॉडी निर्माण का कार्य परिवहन निगम संभालेगा।यानि बिना नई खरीद के, पुरानी संपत्ति को नवाचार में बदला जा रहा है।

हरित भविष्य की ओर बढ़ता यूपी

रिट्रोफिटमेंट केवल तकनीकी प्रयोग नहीं, पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व की भावना है। डीज़ल से इलेक्ट्रिक में बदली गई ये बसें प्रदूषण कम करेंगी, ईंधन बचाएंगी और जनता को देंगी साफ़, सस्ता और शांत सफर।

5000 इलेक्ट्रिक बसों का रोडमैप

सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश में 5000 इलेक्ट्रिक बसें अनुबंध के आधार पर शामिल हों। अब तक 220 बसें खरीदी जा चुकी हैं, जिनमें 20 एसी डबलडेकर भी हैं।महाकुंभ जैसे आयोजनों में इनका सफल उपयोग यह दिखाता है कि यूपी का ट्रांसपोर्ट अब राष्ट्रीय मॉडल बनने की राह पर है।

एक सोच, जो बदल रही है सड़कों का भविष्य

यह पहल दिखाती है कि दयाशंकर सिंह केवल एक मंत्री नहीं, सिस्टम के भीतर एक क्रांतिकारी सोच के प्रतिनिधि हैं।वो सोच जो कहती है—“हर पुराना बेकार नहीं होता, बस उसमें नया दम भरने की ज़रूरत होती है।”

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