युद्ध है दुखदायी,पिंकी सिंघल,दिल्ली

युद्ध है दुखदायी

मासूमों को बेघर यह करता
छीने जग से चैन ओ आराम
युद्ध है बहुत दुखदाई ए मानव
संवाद से लगाओ इस पर विराम

धरती माता भी अब हार गई है
उसकी समाई का हो गया अंत
युद्धों से कभी न होता भला किसी का
यही तो कह गए हैं ज्ञानी और संत

बंद करो अब इतिहास दोहराना
मानवता बलि चढ़ जाती है
बनता कहीं जब माहौल युद्ध का
दिल की धड़कन बढ़ जाती है

अर्थ और जन के साथ साथ
आदमियत ताक पर होती है
तुम क्या जानो युद्धों के भय से
यह धरती माता कितना रोती है

सुलझा लो मिल बैठकर सब मुद्दे
न बनने दो युद्ध के आसार
वसुधैव कुटुंबकम् को सदा रखो सर्वोपरि
इंसानियत को जियादा न करो शर्मसार

पिंकी सिंघल
अध्यापिका
शालीमार बाग दिल्ली

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