मै कौन हूं, // सुप्रसिद्ध लेखिका व गायिका सपना बबेले स्वरा की कलम से

सब देख रही हूं, घटना घटते जीवन में,
सीमित समय, बड़ा सा सपना जीवन में।
हार जीत की बिछी है चौसर,खेल रहे हैं,
अपनी आंखों से जाने क्या झेल रहें हैं।
सही ग़लत का पता है फिर भी मैं मौन हूं ,
खुद ही करती सवाल कि मैं कौन हूं।

सच को सच कहना हिम्मत की बात है,
जितना जो मिलना,किस्मत की बात है।
जब अपने ही करते हम पर आघात है,
फिर आकर कहते हैं कि क्या बात है।
सब कुछ सहकर,आगे बढ़ती मैं मौन हूं,
खुद ही करती सवाल कि मैं कौन हूं।

इस जीवन की झूठें खेल खिलावा में,
सीख मिली है,संभ्हले,इसी छलावा में।
सुख दुख,तो जीवन में आते रहते हैं,
यही कहानी सबकी आकर कहते हैं।
स्वरा, सत्य पथ चलती हूं,पर मौन हूं,
तब उत्तर मिलता है कि मै कौन हूं।

सपना_बबेले स्वरा झांसी उत्तर प्रदेश

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