यें अभागी स्त्री क्यो अपनी हंसी उड़वाती हो।
ये आभागी स्त्री क्यो कवयित्री बनने के सपने बुनती हो ।
यें अभागी स्त्री ना सुन पातीं हो ना बोल पाती हो ।
यें अभागी स्त्री क्यो स्वरचित कविताएँ लिखतीं हो ।
यें अभागी स्त्री क्यो तुम इस लायक नहीं हो।
रंजीता मिश्रा