“नया साल ”
आया-आया नया साल,
शोर मचा बेमिसाल,
ओढ़ के बैठे दुशाल,
हल्ला न मचाइए।।
शीत की चली लहर,
कांपता सारा शहर,
गीली धरा की चूनर ,
अलाव जलाइए।।
पिक नही कूक रही,
मनमें उल्लास नही ,
भानु जा छुपा कही ,
ठिठुरते जाइए।।
बागों में बाहर नहीं,
प्रकृति है सजी नही ,
चैत्र प्रतिपादा जब,
खुशियांँ मनाइए ।।
डॉ.कनक लता जैन,
गुवाहाटी,असम