एटा से रवेन्द्र जादौन की खास खबर
एटा/जलेसर- उ प्र सरकार किसानों को अच्छी खासी सुविधा के लिए अनेकों योजना बना रही है। केन्द्र सरकार ने भी किसानों को सुविधा उपलब्ध कराने का सफलतम प्रयास किया है लेकिन किसानों के दुःख दर्द में प्रतिभाग करने वाले नागरिकों, अधिकारियों को आज तक यह जानकारी नहीं मिल सकी है कि पूरे देश में, सम्पूर्ण प्रदेश में किसानों की फसल की बुवाई के समय डीएपी उपलब्ध न होने के कारण किसानों की धड़कने बढने लगती हैं । किसानों की मनोदशा पागलों की तरह होने लगती है। जैसे ही सरकारी गोदाम पर खाद आने की सूचना प्राप्त होती है खाना-पीना, उठना- बैठना त्याग कर सरकारी गोदाम की तरफ दौड़ लगा देता है। न दिन की चिंता न रात का डर। अल्प सुबह से ही लम्बी लम्बी कतार में उपस्थित हो कर कर्मचारियों के आने की इन्तजार की घडियों को गिनते हुए कब शाम हो गयी पता ही नहीं चलता। जब उसे लगता है कि मेरे नम्बर पर खाद खत्म हो गया है। सोचकर दिल बैठने लगता है। उसकी मनोदशा का आंकलन इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वह कर्मचारियों को कोसने व लाचार निगाहों से अपने भाग्य को कोसते हुए घर बापस जा रहा होगा। कुछ किसानों को भडांस निकालने के लिए गाली गलौज भरपूर सुनाने का अवसर मिल जाता है। लम्बी प्रतीक्षा के बाद भी डीएपी नहीं मिल सकी तो कर्मचारी को गाली गलौज भरपूर सुनने को मिल रही हैं। सरकारी गोदाम पर डीएपी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध न होने के कारण किसानों की मुश्किलें कम नहीं होती दिखाई दे रही है। किसानों के अनुसार बडे किसानों की अच्छी पकड़ होने के कारण कर्मचारी डीएपी को सीधे-सीधे बडे किसानों को दे रहे हैं। छोटे व गरीब किसानों को डी ए पी नहीं मिल सकती है। कई किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकारी गोदाम से खाद की कालाबाजारी हो रही है। मोटा मुनाफा लेकर कर्मचारी दुकानदारों को डीएपी खाद बेच रहे हैं। परेशान है तो छोटे व मंझोले गरीब किसान। इस सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं का सीधा लाभ बडे किसानों को मिल रहा है।
किसानों का कहना है कि दस दिन से रोज भाग रहे हैं लेकिन डीएपी नहीं मिल सकी है। किसानों ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी नहीं बख्सा। उन्होंने आरोप लगाते हुए बताया कि जब तक दुःखी किसान रहेगा, तब तक देश परेशान रहेगा। ।