बीजेपी के ‘द कश्मीर फाइल्स’ टैक्स फ्री करने की मांग पर सीएम भूपेश बघेल का नया दांव

रायपुर(अमर स्तम्भ)। सीएम भूपेश बघेल सभी विधायकों के साथ आज रात 8:00 बजे रायपुर के मैग्नेटो मॉल में फिल्म ‘द कश्मीर फाइल’ देखेंगे,संभावना है कि इसके बाद छत्तीसगढ़ में इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया जायेगा,छत्तीसगढ़ में भी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ टैक्स फ्री होने की संभावना जताई जा रही हैं ज्ञात हो कि हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है।कहीं इसको लेकर राजनीति हो रही है तो कहीं टिकट नहीं मिलने को लेकर बवाल मचा हुआ है।कई राज्यों में इस फिल्म को टैक्स फ्री भी कर दिया है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में भी इस फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग की जा रही है।इन सबके मांगों के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज रात आठ बजे प्रदेश के सभी विधायकों को फिल्में देखने के लिए आमंत्रित किया है।मुख्यमंत्री भुपेश बघेल समेत प्रदेश के सभी विधायक आज ये फिल्म देखेंगे,ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि फिल्म देखने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में भी इस फिल्म को टैक्स फ्री कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री समेत सभी विधायक देखेंगे फिल्म

दरअसल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज सभी विधायकों को फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखने के लिए आमंत्रित किया है।इसके लिए बकायदा रायपुर के मैग्नेटो मॉल को बुक कर लिया गया है।आज रात 8:00 बजे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित प्रदेश के सभी विधायक इस फिल्म को देखने जाएंगे।ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस फिल्म को देखने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में भी इस फिल्म को टैक्स फ्री कर सकते हैं।

पूर्व सीएम ने छत्तीसगढ़ सरकार पर साधा निशाना

आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ट्वीट करके कहा है कि अगर छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार होती तो आपको कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अन्याय को देखने और समझने से रोका नहीं जाता,अब तक छत्तीसगढ़ में फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ टैक्स फ्री हो चुकी होती।कांग्रेस डरती है,वो एक फिल्म से डरी हुई है।

मुख्यमंत्री बघेल ने केन्द्र सरकार को दी नसीहत

इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के ट्विटर पर लिखे सवालों का जवाब देते हुए केंद्र सरकार को ही कटघरे में खड़ा करते हुए ट्विटर पर लिखा, “भाजपा के विधायकगणों ने मांग की है कि फिल्म द कश्मीर फाइल्स को टैक्स फ्री कर दिया जाए” मैं माननीय प्रधानमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वे इस फिल्म से केंद्रीय जीएसटी हटाने की घोषणा करें,पूरे देश में फिल्म टैक्स फ्री हो जाएगी।

नेता प्रतिपक्ष ने टैक्स फ्री की मांग की

इधर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि अन्य राज्यों में भी इस फिल्म को टैक्स फ्री कर रहे हैं। क्योंकि यह फिल्म जनहित के लिए है तो फिर क्यों नहीं छत्तीसगढ़ सरकार इस फिल्म को भी छत्तीसगढ़ में टैक्स फ्री कर रही है।अब देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सभी विधायकों के साथ आज रात 8:00 बजे रायपुर के मैग्नेटो मॉल में फिल्म कश्मीर फाइल को देखने जा रहे हैं।ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल फिल्म देखने के बाद छत्तीसगढ़ में भी इस फिल्म को टैक्स फ्री कर सकते हैं।

फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को फ्लॉप कराने की साजिश, रिलीज के दूसरे दिन ही इंटरनेट पर लीक

फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ऑन लाइन लीक हो गई है। पाकिस्तान से लेकर खाड़ी देशों तक में इसके इंटरनेट लिंक व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुपों में धड़ल्ले से साझा हो रहे हैं। इन डाउनलोड की क्वालिटी देखकर पता चलता है कि ये इंटरनेट कॉपी सिनेमाघरों में मोबाइल से नहीं बल्कि इसकी डिजिटल कॉपी को ही ऑनलाइन लीक करके बनाई गई है। मंगलवार सुबह से ही मुंबई में फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री के नाम का एक संदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि ये पूरी कोशिश फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को फ्लॉप करने की साजिशों का ही हिस्सा है।
इस वायरल मैसेज में कहा गया है कि आपको शायद फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ का एक लिंक अपने दोस्त से या व्हाट्सऐप ग्रुप में मिला होगा। ये सब उन शैतानी लोगों और फिल्म का विरोध करने वाले लोगों की खतरनाक साजिश का हिस्सा है जो शुरू से इस फिल्म के विरोध में रहे हैं। चूंकि इन लोगों की धमकियों का फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्माता, निर्देशक पर कोई असर नहीं हुआ तो इन्होंने फिल्म का एक डिजिटल लिंक बनाया और उसे इंटरनेट पर लीक कर दिया है। और, इस लिंक पर क्लिक करके फिल्म देखने वाले बिना अपना दिमाग लगाए इन लोगों की साजिश का हिस्सा बन रहे हैं।
इस संदेश के मुताबिक चूंकि फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की रिलीज रोकने में ये खास गैंग 11 मार्च को विफल रहा तो इसने 12 मार्च को ये लिंक ऑनलाइन लीक कर दिया। सोशल मीडिया पर उपलब्ध इस लिंक के सहारे फिल्म देखने वालों को वायरल संदेश में ‘आलसी इंसान’ कहा गया है जो सिनेमाघरों मे जाने की बजाय इसे घर में फ्री में देख रहे हैं। संदेश में चेतावनी दी गई है कि ऐसा फिल्म को फ्लॉप को कराने के लिए किया गया है ताकि फिल्म के निर्माता और निर्देशक दिवालिया हो जाएं और आगे कभी ऐसी फिल्म बनाने की हिम्मत भी न जुटा सकें।
संदेश के आखिर में इस लिंक को आगे फैलने से रोकने में मदद करने की अपील की गई है और कहा गया कि इस लिंक को आंखें मूंदकर आगे साझा न करें। इस बारे में विवेक अग्निहोत्री से भी संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। गौरतलब है कि फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ इन दिनो बॉक्स ऑफिस पर जबर्दस्त कारोबार कर रही है। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने शुक्रवार को 3.25 करोड़ रुपये, शनिवार को 8.25 करोड़ रुपये और रविवार को करीब 14 करोड़ रुपये की कमाई सिनेमाघरों में की। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने सोमवार को शुरुआती रुझानों में 18 करोड़ रुपये की कमाई का आंकड़ा छू लिया।

कमर मटकाने वाला झोलिवुड क्या इतिहास बताएगा,राजद उत्तर प्रदेश के ट्वीट पर बवाल…

एक फिल्म है और हजारों सवाल हैं। इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश में तमाम लोग सवालों को दोहरा रहे हैं और यह कुछ लोगों को पसंद नहीं आ रहा है। बात यहां हाल में ही रिलीज हुई फिल्म द कश्मीर फाइल्स की हो रही है। पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। फिल्म ने कुछ सवाल खड़े किए हैं और उन सवालों को जुबान मिल गई है। फिल्में मनोरंजन का माध्यम होती हैं, लेकिन अगर कोई फिल्म मन में सवाल पैदा करने लगे तो उसका विषय निश्चित तौर पर लोगों की संवेदना को झकझोड़ने वाला होता है। कश्मीर फाइल्स के साथ भी कुछ ऐसी ही बात है। 1990 के कश्मीरी पंडितों के पलायन को आधार बनाकर बनाई गई इस फिल्म पर अब राष्ट्रीय जनता दल (UP RJD) ने हमला बोला है। बिहार में जनाधार वाली इस पार्टी के यूपी इकाई ने फिल्म पर हमले के साथ-साथ सीधे पूरे बॉलीवुड को ही लपेट लिया है। पार्टी की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है कि कमर मटकाने वाला झोलीवुड इतिहास क्या बताएगा?

जानिए जनता को कैसी लगी ‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’?

कश्मीर फाइल्स को लेकर अब पूरा देश दो भागों में बंटता नजर आ रहा है। एक तरफ भाजपा शासित राज्यों में इस फिल्म को टैक्स फ्री किया जा रहा है। गुजरात और मध्य प्रदेश में इसकी घोषणा हो चुकी है। वहीं, कई सीनियर भाजपा नेता अपने स्तर से इस फिल्म का प्रमोशन करते दिखे हैं। वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष इस फिल्म के कथानक पर सवाल खड़े कर रहा है। भाजपा विरोध वाले राजनीतिक दल इस फिल्म के विरोध में तरह-तरह का तर्क दे रहे हैं। पहले केरल कांग्रेस की ओर से ट्वीट कर इस फिल्म पर सवाल उठाए गए। अब राजद यूपी की ओर से सवाल खड़ा किया गया है।

फिल्म को बताया फर्जी कहानी पर आधारित प्रोपगंडा

राजद यूपी ने कश्मीर फाइल्स फिल्म की कहानी को फर्जी करार दिया है। फिल्म निर्माण से जुड़े लोगों का कहना है कि यह फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है। ऐसे में यूपी राजद ने फिल्म की कहानी को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कश्मीर पंडितों का पलायन नहीं हुआ था? यूपी राजद ने ट्वीट में लिखा है कि फर्जी कहानी पर आधारित द कश्मीर फाइल्स देख के लोग प्रोपगंडा में शामिल हो रहे हैं। असली इतिहास जानना है तो किताबें पढ़िए। ये कमर मटकाने वाले, झोलिवुड वाले क्या इतिहास बताएंगे?

राजद के ट्वीट पर लाल हुए यूजर्स

ट्विटर पर कश्मीर फाइल्स के खिलाफ ट्वीट करने पर यूजर्स ‘लाल’ हो रहे हैं। एक यूजर राजेश ने लिखा कि किसी कश्मीरी पंडित से मिल लेते। वैसे पंडित और ब्राह्मणों से तुम लोगों की नफरत छुपी नहीं है। अपने ही देश में कोई शरणार्थी बनता है क्या? जय ने लिखा कि वैसे भी तुम्हारा अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। क्यों अपने ताबूत में आखिरी कील ठोकने पर तुले हो? तारीफ नहीं कर सकते तो कम से कम बुराई तो मत करो। एक बात और हिंदुओं के सपोर्ट के बिना तुम कहीं भी सरकार नहीं बना सकते, यह लिख कर ले लो। इसलिए, हिंदुओं की बुराई करना छोड़ दो।

लालू की शुरू कर दी बात

विकास रैना ने लिखा कि देखो कौन बात कर रहा है। हम घोटालों और धोखाधड़ी के बारे में आपकी सच्ची कहानी जानते हैं। इसलिए, आपके लालू जेल में हैं। आपको शर्म आनी चाहिए कि आप सच्चाई के साथ नहीं बल्कि आतंकवादियों के साथ खड़े हैं। माहौलका ने लिखउ कि तुम लोगों को ये फर्जी ही लगेगी, शर्म करो। आप किस इतिहास की बात कर रहे हो, जिन लोगों पर बीती है, जाके उनसे एक बार पूछो। यह बात बिहार के जानवरों का चारा तक खा जाने वालों की समझ में नहीं आएगा।

कांग्रेस ने भी बोला फिल्म पर हमला

केरल कांग्रेस ने फिल्म के बहाने रविवार को कश्मीरी पंडितों को लेकर सिलसिलेवार तरीके से कई ट्वीट किए थे। कांग्रेस ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘वे आतंकवादी थे जिन्होंने कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया। साल 1990 से लेकर 2007 के बीच के 17 सालों में आतंकवादी हमलों में 399 पंडितों की हत्या की गई। इसी समयांतराल में आतंकवादियों ने 15 हजार मुसलमानों की हत्या कर दी। कांग्रेस ने आगे लिखा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन के निर्देश पर हुआ था, जो कि आरएसएस के आदमी थे।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पलायन बीजेपी के समर्थन वाली वीपी सिंह सरकार के समय में शुरू हुआ था। बीजेपी के समर्थन वाली वीपी सिंह सरकार दिसंबर 1989 में सत्ता में आई। पंडितों का पलायन उसके ठीक एक महीने बाद से शुरू हो गया। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी ने इस पर कुछ नहीं किया और नवंबर 1990 तक वीपी सिंह सरकार को अपना समर्थन देती रही। कांग्रेस ने दावा किया कि यूपीए सरकार ने जम्मू में कश्मीरी पंडितों के लिए 5242 आवास बनवाए। इसके अलावा पंडितों के प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी, इसमें पंडितों के परिवार के छात्रों को स्कॉलरशिप और किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शामिल थीं।

द कश्मीर फाइल्स फिल्म समीक्षा: कश्मीरी पंडितों की पीड़ा का दस्तावेज

कश्मीरी पंडित को बेदखल करने का घाव 32 साल बीतने के बाद भी हरा है। जिन लोगों ने इसे भोगा है उनके‍ लिए तो यह नासूर है। यहां हुए नरसंहार के बारे ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है। यह सब जब हो रहा था तब भी कोई हलचल नहीं हुई थी। विधु विनोद चोपड़ा, जो कि खुद कश्मीरी हैं, ने फिल्म ‘शिकारा’ के जरिये यह सब ‍दिखाने की कोशिश की थी, लेकिन उनका प्रयास बहुत ही कमजोर साबित हुआ। ‘द ताशकंद फाइल्स’ के जरिये निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत को लेकर कुछ खुलासे किए थे। अब उन्होंने कश्मीर की सबसे गंभीर समस्या पर फिल्म बनाई है। विवेक की यह ‍फिल्म दर्शाती है कि किस तरह से कट्टरपंथियों ने कश्मीरी पंडितों का जीना बेहाल कर उन्हें कश्मीर छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। तत्कालीन फारूख अब्दुल्ला सरकार तमाशा देखती रही। जबकि उनकी नाक के नीचे से कश्मीर की आजादी की मांग और पंडितों के साथ दुर्व्यहार का नंगा नाच हो रहा था। पुलिस और मीडिया को भी फिल्म कटघरे में खड़ा करती है। युवा पीढ़ी का ब्रेनवॉश किया जा रहा था। कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार देख दर्शक दहल जाते हैं। यह ऐसा सब्जेक्ट है जिस पर डॉक्यूमेंट्री बनाई जानी चाहिए, जिससे विश्वसनीयता बढ़ती है। फिल्म इसलिए बनाई गई है ताकि बात ज्यादा लोगों तक पहुंचे। इस फिल्म का रिलीज के पहले बहुत ज्यादा प्रचार नहीं किया गया, लेकिन दर्शकों में इस फिल्म को लेकर भारी उत्सुकता है। ये शायद इसलिए कि वे जो देखना चाहते हैं उसी अंदाज में बात को कहा गया है।
फिल्म शुरू होती है उस सीन से जिसमें बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं। कुछ कश्मीरी मुस्लिम लड़के, शिवा नामक हिंदू लड़के से कहते हैं कि वह पाकिस्तान जिंदाबाद कहे। इसी बीच मुस्लिम युवाओं की भीड़ आती है और पंडित के घर में आग लगा देती है। उनका कहना है- रालिव, त्सालिव या गालिव अर्थात्‍ या तो मुस्लिम बनो, या मरो, या कश्मीर छोड़ो।
पुष्कर नाथ पंडित (अनुपम खेर) की कहानी के जरिये कश्मीर के हालात दिखाए गए हैं। कुछ आतंकी पुष्कर के घर में घुस जाते हैं क्योंकि पड़ोसियों ने विश्वासघात किया है। अपने ससुर पुष्कर नाथ को बचाने के बदले में उनकी बहू को अपने पति के खून के साथ चांवल खाने पड़ते हैं। ऐसा हकीकत में भी हुआ है। यह ऐसा सीन है जिसे देख सिनेमाहॉल में सन्नाटा पसर जाता है। पुष्कर नाथ कश्मीर छोड़ देता है। उसके पोते का प्रोफेसर राधिका मेनन (पल्लवी जोशी) कश्मीर की आजादी को लेकर ब्रेनवॉश कर देती है। मरने से पहले पुष्कर अपने पोते से वादा लेते हैं ‍कि मरने के बाद उनकी अस्थियां कश्मीर स्थित उनके घर में विसर्जित की जाए।
पुष्कर की मृत्यु के बाद कृष्णा कश्मीर जाता है जहां उसके दादा के दोस्त ब्रह्मा (मिथुन चक्रवर्ती), डॉक्टर महेशकुमार (प्रकाश बेलावड़ी), हरी नारायण (पुनीत इस्सर) और विष्णु राम (अतुल श्रीवास्तव) से उसकी मुलाकात होती है। इनमें से कोई पुलिस में था तो कोई पत्रकार। ये लोग कृष्णा 1990 में हुए हालातों के बारे में बताते हैं तो सच्चाई जानने के बाद वह सभी को इस बारे में बताने का फैसला करता है।
वह कहता है कि कश्मीर में हुई इस घिनौनी घटना के बारे में हमें क्यों नहीं बताया गया? उसका यह कहना कई सवाल खड़े करता है, जैसे क्या तत्कालीन राज्य और केंद्र सरकारों ने इस मामले को दबाया था? क्या मीडिया ने अपना रोल सही तरीके से नहीं निभाया था? विवेक ने फिल्म की कहानी को सच्चे दस्तावेजों और सच्ची कहानियों को जोड़कर आगे बढ़ाया है। उन्होंने टेलीकॉम इंजीनियर बीके गंजू हत्याकांड को पुष्कर के बेटे की हत्या से जोड़ा है। नदीमार्ग हत्याकांड का भी उल्लेख है जिसमें 24 हिंदुओं को लश्कर-ए-तोयबा के लोगों ने हत्या कर दी थी। लोगों को कटिंग मशीन से चीर दिया गया था और फिल्म के क्लाइमैक्स में आतंकियों का सरगना बिट्टा (चिन्मय मंडलेकर) भी एक महिला को ऐसी ही सजा देता है।
फिल्म को लेकर अहम सवाल इसकी सत्यता को लेकर है। क्या जो कुछ दिखाया गया वो सच है? विवेक रंजन अग्निहोत्री का झुकाव किस दल की ओर है, ये भी सभी जानते हैं। इसका जवाब यह है कि विवेक ने कई सच्ची घटनाओं को फिल्म से जोड़ा है। काफी रिसर्च भी किया है। फिल्म में दिखाई गई बातें सच्चाई के करीब हैं। गैर-मु‍स्लिमों के लिए आतंकियों ने कश्मीर में क्या स्थिति पैदा की थी, खोजिए। ज्यादातर बातें आपको फिल्म में मिलेगी। किसी कश्मीरी पंडित से मिलिए, जिनके बाप-दादाओं को कश्मीर छोड़ना पड़ा था। वे जो हाल सुनाएंगे वो भी आपको फिल्म के करीब मिलेगा।
विवेक ने कई बात समेटने के चक्कर में फिल्म को बहुत लंबा कर ‍दिया है। इंटरवल के बाद कई बातें उनके हाथ से छूटती नजर आती हैं। फिल्म की अवधि कम होती तो इसकी मारक क्षमता और बढ़ जाती। तकनीकी चमक फिल्म से नदारद है जो कि आज की फिल्मों के लिए महत्वपूर्ण बात होती है, लेकिन फिल्म का विषय ही इतना पॉवरफुल है कि इसके तले कई बातें दब जाती है। फिल्म के कम बजट के कारण भी फिल्म की मेकिंग पर असर हुआ है। आर्टिकल 370 हटा दी गई है। अभी भी लोग क्यों मारे जा रहे हैं? अब क्या हालात हैं वहां? इस बातों को भी फिल्म में जगह मिलनी थी। अनुपम खेर ने कमाल की एक्टिंग की है। वे खुद भुक्तभोगी हैं इसलिए इमोशन्स को अच्छी तरह समझते हैं। अपने अभिनय के बल पर वे कई जगह दर्शकों की आंखों में आंसू ला देते हैं। दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, चिन्मय मंडलेकर सहित सारे कलाकारों का अभिनय शानदार है।कश्मीरी पंडितों के साथ जो बर्ताव हुआ है उसे परदे पर देखना भी आसान बात नहीं है, इसी से उनकी पीड़ा को समझा जा सकता है। यह फिल्म इतिहास का एक पन्ना है जिसके बारे में कम लोग जानते हैं, सच्चाई से रूबरू होने के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है।

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