आस्था का केंद्र है मुंगरा बादशाहपुर श्री विश्वनाथ का मंदिर- 1991 में महेश चंद्र गुप्त ने करवाया था निर्माण-

के पी यादव
मुंगरा बादशाहपुर/जौनपुर(अमर स्तम्भ) क्षेत्र के मुगरडीह गांव के सुजानगंज- प्रयागराज मार्ग पर स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर कई दशकों से ही श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर में स्थित शंकर जी,मां पार्वती पर जलाभिषेक कर उनकी आराधना करते हैं। सावन मास में कांवरिया सहित श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सावन माह में शिव प्रसाद गुप्त (बबलू) द्वारा कई वर्षों से दो दिवसीय कांवरियों के लिए भव्य भंडारे का आयोजन होता है । नगर सहित आसपास के गांव के लोग और दूरदराज से भी शिव भक्त शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने आते हैं। मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना है। जो श्रद्धालु सच्चे मन से शंकर जी व मां पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं। उनकी मनोकामना पूर्ण होती हैं। मंदिर का निर्माण महेश चंद्र गुप्त ने 29 जुलाई 1991 में कराया था। क्षेत्र प्रखर विद्वान व कर्मकांडी पंडित लाल प्रताप मिश्र ने मंदिर में शंकर जी व मां पार्वती ,कार्तिकेय समेत नंदी गणों की मूर्तियां की प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापना कराई थी। मंदिर के बाहर महेश चंद्र गुप्त ने पिता रामखेलावन गुप्त की स्मृति में श्री विश्वनाथ द्वार की स्थापना कराएं थे। श्री विश्वनाथ मंदिर की ख्याति दूर तक फैली है। सावन मास में हजारों लोग यहां भगवान शंकर और माता पार्वती का जलाभिषेक करने आते हैं।सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, आक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भांग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है। मंदिर के संस्थापक महेश चंद्र गुप्त के पुत्र शिव प्रसाद गुप्त बबलू ने बताया कि जो भी श्रद्धालु शंकर जी, मां पार्वती की आराधना कर जो कुछ मांगते हैं। वह मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। उन्होंने बताया कि श्री विश्वनाथ मंदिर परिसर में कई गरीब परिवार का शादी विवाह , देख दिखाई सहित कई रस्म नि:शुल्क होता हैं। क्षेत्र के विद्वान पंडितों का कहना है कि मंदिर में श्रद्धालु सच्चे मन से जो मनोकामना ईश्वर से मानते है, वह पूर्ण होती है। और मंदिर में नियमित रूप से रुद्राभिषेक करने से भक्तों के कष्ट भोलेनाथ हर लेते हैं। मंदिर जाने से विशेष शांति का स्मरण होता है यहां पर सभी भक्त जनों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं यह गांव में भगवान शिव का इकलौता मंदिर है साथ ही ईश्वर की आस्था का केंद्र भी है।

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