स्तम्भ बनकर देश के ,
संभालते हैं बागडोर ,
कुशल युवाओं के करों में ही निहित है ,
देश की उदित भोर ।
मिलता है जब सही कौशल इन्हे तो ,
ये माटी से भी सोना उपजाते हैं ,
नव पीढ़ी – नव स्फूर्ति से भरे ,
देश का नवनिर्माण कराते हैं ।
पाते हैं जब रोजगार के अवसर ,
गांवों से रूकता है पलायन ,
शहरीकरण की समस्या का ,
तब उचित निराकरण भी होता है ।
गांवों में पीपल तले ,
फिर उदासी भी नही होती है ,
गूंजते हैं वो चबूतरे क्योंकि
ठहाकों से भरी महफिलें और
सुख-समृद्धि वहाँ होती हैं ।
प्रगति चूमती मंजिलें देश की ,
चहुंओर उत्थान होता है ,
कुशल युवाओं के नेतृत्व से ही ,
देश का सर्वांगीण विकास होता है ।
मीनाक्षी गर्ग
अपने भारत से