संदीप यादव पत्रकार
दैनिक (अमर स्तम्भ)
नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली तथा कर्नाटक राज्य प्रौढ शाला हिंदी शिक्षक संघ के तत्वावधान में दक्षिण भारत की लिपियां और देवनागरी इस विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ इसपाक अली, पूर्व प्राचार्य लाल बहादुर शास्त्री शिक्षा महाविद्यालय बेंगलुरु ने की, और उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि दक्षिण भारत की जो भाषाएं हैं कन्नड़, तमिल, तेलुगू और मलयालम ये सभी भाषाएं अत्यंत शास्त्रीय एवं प्राचीन हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल जी ने अपने प्रास्ताविक वक्तव्य में कहा कि नागरी लिपि को प्राचीन इतिहास है और इसकी वैज्ञानिकता को ध्यान में रखते हुए श्री विनोबा भावे जी ने नागरी लिपि परिषद की स्थापना की।
मुख्य वक्ता हरिभाई देवकरण महाविद्यालय सोलापुर महाराष्ट्र के हिंदी प्रवक्ता डॉ धन्यकुमार बिराजदार जी अपने मुख्य वक्तव्य में कहा कि देवनागरी लिपि एक अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है एवं भारत की ही नहीं बल्कि सभी संसार की भाषाओं के लिए यह अत्यंत उपयुक्त लिपि है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद के कार्याध्यक्ष डॉ शहाबुद्दीन शेख जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि देवनागरी लिपि भारत की अत्यंत पुरातन एवं प्रभावशाली वैज्ञानिक लिपि है। भारत की सभी भाषाएं इस लिपि में लिखी जा सकती है। श्री डी. एम्. राठोड़ जी ने अपने वक्तव्य में कर्नाटक में हिंदी की स्थिति गति के बारे में बताते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति हिंदी के स्थानमान के बारे में चर्चा की। प्रा. मनीषा नाडगौड जी की सुमधुर प्रार्थना गीत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के संयोजक डॉ सुनील कुमार परीट जी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। डॉ वसुधा कामत जी ने सुचारू रूप से कार्यक्रम का संचालन किया। डॉ मलकप्पा अलियास महेश जी ने सभी अतिथियों का एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।