बहुत सी खामिया है मुझमे, मगर एक चीज बखूभी आती है
मैं कोई भी रिश्ता मतलब के लिए नहीं बनाता हूँ।
यूँ ना छोड़ कर जाया करो तुम बार-बार
अगर मैं रूठ गया तो
मेरी एक झलक को भी तर जाओगे।
तेरे ही नाम से जाना जाता हूं अब मैं
अब इसे ‘शोहरत’ कहूँ या ‘बदनामी’ ये फैसला तुझ पर छोड़ दिया मैंने;
कभी-कभी किसी से ऐसा रिश्ता भी बन जाता है,
की हर चीज से पहले बस उसी का ख्याल आता है।
कितनी खुश थी, वो आज एक अजनबी के साथ,
मुझ पर नजर पडी तो मायूस सी हो गई !
अनुराग ठाकुर
बिधूना-(औरैया)