सीएम का आदेश ठेंगे पर, प्रशासन की शह पर प्रतापपुर क्षेत्र में जमकर हो रहा अवैध रेत उत्खनन.. प्रतिदिन सैकड़ों गाड़ियां निकाली जा रही रेत, ग्रामीणों में पनप रहा आक्रोश..
चंद्रिका कुशवाहा
सूरजपुर ब्यूरो (अमर स्तम्भ)
सरगुजा संभाग में रेत तस्करी थमने का नाम नहीं ले रहा है दो माह पूर्व मुख्यमंत्री के आदेश पर स्थानीय खनिज विभागों तथा पुलिस द्वारा कार्यवाही के नाम पर छोटे तस्करों को पकड़कर अपनी पीठ थपथपा ली गयी थी मगर वास्तविकता यही है कि प्रशासन की शह पर ही एक बार फिर रेत तस्करी जोर पकड़ने लगा है। प्रतापपुर क्षेत्र के बांक नदी तथा महान नदी से रेत का अवैध उत्खनन कर सैकड़ों गाड़ियों में रेत लोड कर अन्यत्र भेजा जा रहा है। ग्रामीणों द्वारा बार-बार खबर दिये जाने के बाद भी स्थानीय अधिकारी गूंगे-बहरे बने बैठे हैं जिससे तस्करों के साथ इनकी मिलीभगत साफ प्रतीत हो रही है और अधिकारियों के इस रवैये से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
ज्ञात हो कि प्रदेशभर के नदी-नालों में चल रहे अवैध रेत उत्खनन की खबर मिलने के बाद लगभग दो माह पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा सभी जिले के अधिकारियों को अवैध रेत उत्खनन तथा तस्करी पर लगाम कसने के निर्देश दिये गये थे। वहीं पिछले दिनों प्रतापपुर क्षेत्र में जनता से भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान भी उन्होनें अधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा था कि क्षेत्र में अवैध रेत का उत्खनन नहीं होना चाहिये। मुख्यमंत्री के इस आदेश पर भले ही उस समय प्रशासन ने अपना सिर हां में हिला दिया मगर तस्करों के साथ उनके गठजोड़ ने मुख्यमंत्री के निर्देश को भी ठेंगा दिखा दिया।
प्रतापपुर क्षेत्र के बांक तथा महान नदी से तस्करों द्वारा पिछले एक सप्ताह से दिन-रात खुदाई कर रेत निकाले जा रहे हैं जिन्हें ट्रेक्टर, डम्फर आदि में भरकर पण्डो पारा, केवरा, भैंसामुंड़ा, सत्तीपारा बंशीपुर होते हुए दूसरे जगह भेजा जा रहा है वहीं तस्करों द्वारा सेमराखुर्द तथा पोंड़ी में भी रेत का भंडारण किया जा रहा है जिसे समय-समय पर अन्यंत्र भेजा जा रहा है।
जिसको बताना है बता दो, हमारा कुछ नहीं होगा–
बीते दिनों सुबह लगभग दर्जनभर ट्रेक्टर लेकर जब तस्करों के बांक नदी तट पर पहुंचने की जानकारी मिली तो पंडोपारा के महिला-पुरूष ग्रामीण भी नदी के पास एकजुट हो गये तथा रेत उत्खनन का विरोध करने लगे। इसपर वहां मौजूद तस्करों ने ग्रामीणों को धमकाते हुए कहा कि जो करना है, जिसको बताना है बता दो हमारा कुछ नहीं होगा। इतना कहकर उन्होनें उत्खनन में लगे मजदूरों को खुदाई जारी रखने का निेर्देश दिया तथा तथा लगभग 2 घंटे तक 10-12 ट्रेक्टरों में रेत भरने के बाद सभी वहां से निकल गये।
नहीं सुनते अधिकारी, पनप रहा आक्रोश–
ग्रामीणों का कहना है कि बांक तथा महान नदी सहित आस-पास के छोटे-बड़े नदी नालों में रेत उत्खनन को लेकर उन्होनें पहले भी कई बार तहसीलदार, एसडीएम तथा कलेक्टर से शिकायत की है मगर उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई, इसके उलट तस्करी का कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उन्होनें कहा कि यदि यही हाल रहा तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के लिये बाध्य होंगे।