हिन्द हो तुम
हिंद हो तुम हिंदी हो तुम
मेरे प्राण संजीवनी हो तुम
वीरों के इस मरुभूमि में
खिलता एक कवंल की भांति
सागर की लहरों के भीतर
अंगारित ज्वल की भांति
बंजर धरती की शीतल फुहार हो तुम
हिंद हो तुम हिंदी हो तुम
मेरे प्राण संजीवनी हो तुम
अनगिनत बोलचाल भाषाएं प्रबल
उत्तर से दक्षिण तक पूर्व से पश्चिम तक
सब की पटरानी हो तुम
,राजधानी, महारानी हो तुम
भारत भूमि के भित्ति की वृत्ति का
रेखांकित चित्रकार हो,
साहित्यिक पटल का
अलंकृत श्रृंगार हो तुम
नवविवाहित दुल्हन सी सज रही
माथे की बिंदी हो तुम
उदगार उद्घघोष कर रहा भारत प्रतिक्षण
वो लेखन का प्रतिकार ललकार हो तुम
हिंद हो तुम हिंदी हो तुम
मेरे प्राण संजीविनी हो तुम
ललिता ( भोला )