आपको बता दें कि सन 2001 में भू स्वामी श्रीमती सरकार के द्वारा अपनी भूमि खसरा क्रमाक 202/7 रकवा 1.868 है. को रुपयों के आवश्यकता के कारण बंधक बनाया था लीलावती अग्रवाल के पास बंधक की राशि अदा नहीं करने के दौरान लीलावती अग्रवाल ने अपने नाम पर बंधक बनाये खसरा क्रमांक 202/7 से 202/23 रकवा 809 अपने नाम पर दर्ज करवा लिया और उनके नाम पर खसरा पंचशाला में दर्ज है लेकिन श्रीमती सरकार के द्वारा जो बंधक भूमि थी उसमें उन्होंने एक शर्त रखी थी की 1 साल के अंदर अगर राशि वापस नहीं कर पाने में सक्षम होंगी तो आप मेरी भूमि को बंधक के रूप में अपने नाम पर ले सकते हो लेकिन ऐसा हुआ कि श्रीमती सरकार के द्वारा पैसा वापस नहीं किया गया और जो बंधक बनाई गई भूमि थी वह अपने नाम पर 2015 में दर्ज करवा लिया गया क्योंकि श्रीमती सरकार के द्वारा बंधक जमीन का प्रकरण व्यवहार न्यायालय में दर्ज किया गया जबकि व्यवहार न्यायालय में प्रकरण दर्ज किया गया वह प्रकरण 202/7 उल्लेखित है लेकिन 202/23 पूर्व में लीलावती अग्रवाल पति स्वर्गीय गोपाल अग्रवाल के नाम पर दर्ज था तो फिर किस की सहमति से इस खसरे का नाम परिवर्तित किया गया और श्रीमती सरकार के नाम पर दर्ज हो गया और उनके द्वारा कुछ सालों बाद अपने पुत्र नारायण सरकार के नाम वसीयत कर दिया गया लेकिन जब 202/7 का केस सिविल कोर्ट एवं हाई कोर्ट पर चल रहा था और डिग्री भी मिली सिविल कोर्ट में डिग्री के लिए बेनी भूषण सरकार का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया उस आधार पर व्यवहार न्यायलय के द्वारा श्रीमती सरकार के पक्ष पर आदेश किया गया लेकिन लीलावती अग्रवाल की ओर से हाई कोर्ट में अपील दर्ज करवाई गई और हाईकोर्ट का भी यही फैसला था कि श्रीमती सरकार की ही भूमि है लेकिन जब जमीन बंधक बनाई गई थी तब उसका रखवा था 1.868 हेक्टेयर था और जब 202/7 का रकवा ही कम नहीं हुआ तो फिर श्री मति सरकार के नाम पर 202/23 रकवा 809.हे.क्यो दर्ज किया गया । लेकिन कुछ भी हो सकता है क्योकि पूर्व के राजस्व निरीक्षक और पटवारी के द्वारा श्री मति सरकार का रकवा बढ़ा दिया गया यह सब खेल पूर्व के पटवारी और राजस्व निरीक्षक राम प्रताप सिंह के कारण संभव हो पाया है।
उपकार केशरवानी जिला प्रमुख एमसीबी/कोरिया