आए दिन करता था प्रताड़ित, पति ने भी जताया था एतराज
बांदा ब्यूरो चीफ मयंक शुक्ला
बांदा (अमर स्तम्भ) / शादी के बाद पति के बीमार हो जाने के बाद ससुर की नीयत डोल गई थी। ससुर अपनी बहू के साथ न सिर्फ बदमिजाजी करता था बल्कि विरोध करने पर उसे प्रताड़ित भी किया जाता था। बहू ने इस राज को दबाए रखा, लेकिन जब ससुर की बदमिजाजी का सिलसिला उग्र हो गया तो बहू परेशान हो गई। परेशान होकर वह अपने मायके कहला गांव चली आई। संभव है कि ससुर की बदमिजाजी का राज पति भी जानता था, लेकिन उसने कभी इसका विरोध नहीं किया। हत्यारोपी पति अपने पिता के साथ ही कहला गांव आया था। लेकिन पिता बेटे की ससुराल नहीं गया। पति अपनी ससुराल पहुंचा और मौका मिलते ही पत्नी को चाकुओं से गोद डाला।
नगर कोतवाली क्षेत्र के कहला गांव निवासी मोहन निषाद ने अपनी बेटी संजो की शादी गिरवां थाना क्षेत्र के काजीपुर लाइन गांव निवासी शिवकुमार के साथ की थी। शादी के बाद से ही शिवकुमार बीमारी की चपेट में आ गया। उसे मिर्गी भी आती थी। उसका इलाज कराया गया। इससे उसकी हालत में कुछ सुधार हुआ। इधर बेटे की बीमारी का फायदा उठाते हुए ससुर की नीयत डोल गई। उसने अपनी बहू को अपनी बदमिजाजी का शिकार बनाना शुरू कर दिया। यह सिलसिला कई वर्षों से चला आ रहा है। संजो मुंह खोलती थी तो उसकी सास बदनामी का वास्ता देकर उसका मुंह बंद करा देती थी। कई बार संजो मायके आने के लिए तैयार हुई, लेकिन ससुराल वाले उसे मायके भेजते ही नहीं थे। करीब छह दिन पहले संजो का पति उसे शेरपुर से टेंपो में बैठाकर वापस चला गया था। संजो खुद ही अपने मायके आ गई थी। मायके आने के बाद संजो ने आप बीती चुपचाप अपनी चचेरी बहन मैकी और परिवार की अन्य महिलाओं को बताया। उसने कहा कि अब वह दोबारा अपनी ससुराल नहीं जाएगी। मैकी ने संजो के ससुर की करतूतें अपने चाचा मोहन को बताईं। मोहन ने ससुर को अपने घर बातचीत करने के लिए बुलाया था। इधर शिवकुमार और उसका पिता गोपाली काजीपुर से एक साथ कहला जाने के लिए निकले। लेकिन ससुर कहला गांव तो पहुंचा, लेकिन अपने बेटे की ससुराल नहीं गया। जबकि बेटा शिवकुमार अपनी पत्नी के घर पहुंच गया। वहां पर संजो के परिजनों ने दामाद से बातचीत की। इसके बाद घर में महिलाएं ही मौजूद रह गईं और संजो के चाचा और पिता आदि काम से चले गए। इसी बीच शिवकुमार ने अपनी पत्नी संजो को चाकुओं से गोद डाला।
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मुस्कराता रहा पति, नहीं था पत्नी की हत्या का पछतावा
बांदा। अपनी पत्नी की चाकुओं से गोदकर हत्या कर देने के बाद पति शिवकुमार के चेहरे पर एक भी सिकन नहीं थी। उसे अपनी पत्नी की हत्या करने का कोई अफसोस भी नजर नहीं आया। परिजनों और ग्रामीणों ने पकड़कर उसके हाथ-पैर बांध दिए और पुलिस के पहुंच जाने के बाद उसे पुलिस को सौंप दिया गया। पुलिस ने उससे कुछ कहा तो वह मुस्कराता रहा। बाद में पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।
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दोपहर के सन्नाटे में शिवकुमार ने अंजाम दी घटना
बांदा। दामाद के घर पहुंचने के बाद परिवार के लोगों ने उचित सत्कार भी किया था। इसके बाद संजो के चाचा और पिता ने अपने दामाद शिवकुमार से उसके पिता के द्वारा की जाने वाली हरकतों के बारे में बातचीत करते हुए एतराज जाहिर किया था। यह भी कहा था कि वह अपने पिता को बुलाए ताकि बातचीत हो सके, इसके बाद ही संजो को ससुराल भेजा जाएगा। बातचीत होने के बाद सभी लोग अपने काम पर चले गए और दोपहर के सन्नाटे में घर में एक-दो महिलाओं की मौजदूगी में शिवकुमार ने अपनी पत्नी का कत्ल कर दिया। अगल-बगल रहने वाले लोगों को भी हत्या की जानकारी नहीं हो सकी। शोर मचने के बाद ही लोग मौके पर पहुंच पाए। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
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मैकी बोली: मै होती तो शिवकुमार का भी कर देती कत्ल
बांदा। अपनी चचेरी बहन की निर्मम हत्या हो जाने के बाद जब मैकी मौके पर पहुंची तो वह दहाड़े मारकर रो पड़ी। पुलिस की मौजूदगी में मैकी ने कहा कि अगर वह मौके पर मौजूद होती तो जिस तरह से शिवकुमार ने उसकी चचेरी बहन की हत्या कर दी, उसी तरह से वह भी शिवकुमार को चाकुओं से गोद कर हत्या कर देती। मैकी का कहना है कि उसकी चचेरी बहन ने उसके ससुर के द्वारा की जाने वाली हरकतों के बारे में बताया था। तभी उसने अपने घर वालों को मामले की जानकारी दी थी!