*जन्मतिथि पर तुमको बारंबार प्रणाम*
“गांधी जी के ऋणी रहेंगे सारे हिंदुस्तान /निवासी !
जिनकी सत्य अहिंसा केवल हमने /पाई आजादी !!
जन्म से लेकर अंतकाल तक कभी नहीं की कायरता ! अन्याय अधर्म से लड़े निरंतर करके कैद निरंकुश्ता !!
हिंदी देश की गिरी सभ्यता गांधी तुमने उज्जवल की ! बिना शास्त्र और बिना अस्त्र के भू पापों से की हल्की !!
मात-पिता के सच्चे सेवक महा कर्म कर महा हुए !
आज रो रहे भारतवासी बापू मेरे कहां गए !!
सत्य अहिंसा के व्रत से ही मिला महात्मा गांधी नाम! आज तुम्हारी जन्म तिथि पर तुमको बारंबार प्रणाम !!
— *तकनीकी सहयोगी तृतीय पुष्प आशीष कमल के साथ घनश्याम सिंह त्रिभाषी साहित्यकार/वरिष्ठ पत्रकार*