भारतीय किसान यूनियन( भानु ) व किसान क्रांति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष को माननीय, सम्मानीय, वंदनीय , अभिनंदनीय, किसान मजदूर मसीहा , गरीबो , मजलूमो के हितैषी, हमदर्द एवं पीड़ित , शोषित ,वंचितों निर्बल , निर्धनो के हक की आवाज ऐसे ही नहीं कहा जाता बल्कि उनके 40 वर्ष के त्याग, तपस्या,मेहनत संघर्ष वादिता एवं किसान मजदूर हित में समर्पणता की मिसाल है । जनपद एटा के छोटे से विकास से वंचित आवागमन के साधन से विहीन गांव नगला सुखदेव के किसान परिवार में जन्म हुआ । पढने के लिए भी नदिया पार करके इसौली आना जाना पडता था। आवागमन के लिए घोडी अथवा पैदल ही साधन थे। इसलिए मुख्य व्यवसाय कृषि के साथ साथ अश्व पालन रहा। लेकिन कुछ करने की ललक व जज्बे से ओतप्रोत रहने के कारण मेरे पितृदेव नेता जी ठा0अमरपाल सिंह जी से चाचा का रिश्ता होने के बावजूद भी घनिष्ठ मित्र रहे हैं। हालाकि नेता जी खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की लाइन में सेवारत होने के कारण अधिकांश समय जनपद बुलंदशहर मेरठ आदि क्षेत्र से संबंधित रहे। लेकिन वहां से दौनो के तार मिले रहे। समय समय पर सीधा संवाद होता रहा । लेकिन वर्ष 1999 में नेता जी भी सच्चिदानंद धाम को गमन कर गए । तभी तो आज भी समय समय पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जी स्वयं स्वीकारते हैं कि नेता जी हमें नेता बना गये । किसानो की पीडा व दर्द को समझते हुए उनकी समस्याओ/ शिकायतो का समाधान अपने स्तर से ही करने का क्रम राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का क्रम कभी नहीं टूटा किसान मसीहा चौ0 चरण सिंह एवं किसान नेता चौ महेंद्र सिंह टिकैत से प्रभावित होकर पूर्णतः अपने आप को किसानो के हित में समर्पित कर दिया। अपनी ओजस्वी एवं बुलंद आवाज में जगह जगह किसान के हक की आवाज बुलंद की। किसान कामगार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का महत्वपूर्ण पट एवं किसान यूनियन में भी अहम पदों पर आसीन रहे । चौ महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी होना कुछ ओछी मानसिकता के राजनीतिक लोगो को अच्छा नहीं लगा। परिणामतः वहां भी स्वाभिमान से समझौता राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने नहीं किया। पद का त्याग कर दिया। मा0 ठा0 भानु प्रताप सिंह जी ने कभी भी धन पद प्रतिष्ठा को महत्व नहीं दिया। बल्कि संघर्ष की राह पर अकेले चल कर त्याग, तपस्या, ईमानदारी ,समर्पणता , मेहनत ,लग्न , एवं बलिदान के दम पर इस मुकाम पर पहुंचे। कुछ दूषित मानसिकता के लोग ऐसे ईमानदार किसान नेता की छवि व भारतीय किसान यूनियन भानु की छवि दूषित करने का निरर्थक प्रयास कर रहे। ये बात सत्य है कि जब अन्य लोग बराबरी नहीं कर पाते तो ऐसे ही दुष्प्रयास व दुष्प्रचार करते हैं। कर्ज के मर्ज के दंश में जिस महान नेता के होनहार किसान युवा पुत्र नेता का बलिदान हो गया हो। ऐसी असहनीय पीडा दर्द को सहन करते हुए आज भी ईमानदारी व पूर्ण जोश के साथ किसान हितार्थ समर्पित हों। ऐसे पूज्य किसान मसीहा के जज्बे हौसले को मेरा सहृदय आत्मीय वंदन अभिनंदन जय सच्चिदानंद। जय जवान जय किसान। संघर्षो के आदी भानुवादी!मुझे गर्व है ऐसे महान किसान नेता पर एवं अपनी पैतृक जन्म भूमि पर ******* सुनील अमर टैगोर ( कवि एवं लेखक)