शिकायतें सुनने में बड़ा अटपटा शब्द लगता और आजकल इनकी भूमिका भी बड़ी कमाल की होती है ईश्वर ने मानव को रचा जिस प्रकार प्रत्येक मानुष में
गुण और दोष व्याप्त हैं निर्भर करता अपने कर्मों को अपने विचारों के माध्यम से किस दिशा में क्या? कैसा ? क्यूं कर रहा ? उसका प्रभाव उसके आसपास के उस
वातावरण पर कैसा पड़ रहा ? वही महत्व हमारे जीवन में विचारों और इन विचारों से उत्पन्न शब्दों का
भी है। प्रत्येक शब्द के भी नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों पहलू होते ….!
प्रत्येक शब्द इतना सुन्दर है यदि सोचें या समझें तो इनके अन्दर भी जैसे प्राण बसें सुंदर भाव लिए हर शब्द वायुमंडल में गुंजायमान है निर्भर करता हमारी विचार शक्ति पर वह उसका प्रयोग कैसे कहां कब क्यूं और कितना करते क्योंकि शब्द अपना अस्तित्व उस वक्त खो देते जिस समय दो व्यक्ति इनका आपस में जब लेन-देन करते वक्त उनकी गरिमा भूल जाते हैं……..
कहने को हर शब्द हमें अपने भावों को दूसरे तक पहुंचाने के लिए बहुमूल्य रत्न के समान मिला। इन्हीं शब्दों में से बहुमूल्य रत्न रुपी शब्द “शिकायतें” भी है ।
ये शिकायतें भी मेरे दोस्तों ! क्या ख़ूब हैं। जानते हैं क्यूं…?
क्योंकि इनका भी अपना मान सम्मान एवं अपनी ही प्रतिष्ठा है। बड़ी आत्म स्वाभिमानी होती हैं ये और एक खासियत भी है इनकी कि! ये लगाव भी उन्हीं से रखती और उन्हीं से वाद- प्रतिवाद करती जो इनके मान सम्मान का वास्तव में संरक्षक एवं पोषक होता है । अन्यथा होकर स्वाभिमानी ये जल तो जाती हैं अन्दर तक किन्तु कहां फिर किसी को अपने उन घावों का पता देती हैं….!!
प्रत्येक शब्द को बोलने की अपेक्षा पहले उसको जीकर देखें बस इस शब्द के सकारात्मक पहलू को ही सदैव विचारशील बनाएं बहुत भाग्यशाली होते वो जिन्हें यह बहुमूल्य शब्द रुपी रत्न मिलता अतः प्रसन्न रहें एवं स्वस्थ्य रहें
समस्त आदरणीय जनों को जय सियाराम जी की
सीमाशर्मा”तमन्ना”
नोएडा उत्तर प्रदेश