एटा से रवेन्द्र जादौन की खास रिपोर्ट
टूंडला- विगत दिवस साक्षी अमर प्रा0लि0 एवं अमर टैगोर वंश के सौजन्य से वरिष्ठ समाज सेवी ठा. अमर पाल सिंह नेताजी की 25 वीं पुण्य तिथि के अवसर पर एम.एल. एस. जूनियर हाईस्कूल के प्रांगण में अमर पुष्पांजलि एवं विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। समारोह के अध्यक्ष दिनेश कांत दोषी तथा मुख्य अतिथि डाॅ. चेतन बिहारी सक्सेना, विशिष्ठ अतिथि प्रमोद शर्मा,सुनील टैगोर ने माँ सरस्वती तथा नेताजी के चित्र पर माल्यार्पण करते हुये उनके समक्ष दीप प्रज्जवलित कर समारोह का शुभारम्भ किया।
तदोपरांत कार्यक्रम अध्यक्ष दिनेश कांत दोषी ने नेताजी अमर पाल सिंह के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुये उनके बहु आयामी कृतित्व से प्रेरणाश्रोत बताते हुए कार्य क्रम का आव्हान किया।
इस अवसर पर कवि प्रणव कुलश्रेष्ठ तथा कवयित्री साकेत ओकल को वैश्विक काव्य समारोह एटा में “काव्य श्री” सम्मान से अलंकृत किये जाने पर ज्ञान भारती संस्था द्वारा उसके अध्यक्ष ने शाल व फूल माला पहना कर सम्मानित किया।
आयोजित विराट कवि सम्मेलन में हास्य कवि लटूरी “लट्ठ”, ओज के यशस्वी कवि सुबोध सुलभ. कवयित्री अनुराधा रावत,साकेत कुलश्रेष्ठ”ओकल”,डाॅ, अनिल उपाध्याय, डाॅ.चेतन बिहारी सक्सेना, सुरेन्द कुमार झा, धर्मेद शर्मा, मृदुल पाराशर, प्रणव कुलश्रेष्ठ, नवीन गुप्ता, दिलीप गौड, ब्रजेश कुमार आर्य, प्रधानाचार्या कुमकुम झा, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिलाध्यक्ष प्रमोद कुमार शर्मा, सुनील टैगौर आदि ने अपनी ओजस्वी कविताओं द्वारा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और खूब वाह वाही लूटी।
कार्यक्रम में लक्ष्य टैगोर, मोक्ष्य टैगौर, आराध्या टैगौर,सुनील टैगोर, टिंकल टैगोर, बीना टैगोर,धैर्य टैगोर, रजत अमर आदि ने उपस्थित रह कर नेताजी ठा. अमर पाल सिंह को श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम का कुशल संचालन कवि व गीतकार दिलीप गौड द्वारा विधिवत् सम्पन्न किया गया।
प्रमुख कवियों की प्रस्तुति
मन में समाया राम तन में समाया राम
रोम रोम राममय सारा जग हो गया
“कवि दिलीप गौड़”
हँसने में भी क्या जाता है
दुःख में जीवन फंस जाता है
“हास्य कवि लटूरी लठ्ठ”
नारी का सम्मान जगत में
नर का कोई मान नहीं
दुनियां वालो तुम्हीं बताओ
ये नर का इंसान नहीं
“कवि नवीन गुप्ता”
तपन है यहां की धूप में और बेबसी है छांव में
हालात तो ऐसे नहीं थे कल तलक इस गांव में
था भ्रम मुझे तकलीफ बस कांटे ही देते हैं
आजकल तो फूल भी चुभने लगे हैं पांव में।।
“कवियित्री अनुराधा”
अमर पाल जी संघर्षों से जीवन में घबराए नहीं
सामाजिक हित करने में वो तिल भर भी हिचकाए नहीं
“कवि सुबोध सुलभ”
“दीन.दुःखियों की खातिर अमर हो गये!
दुष्टता के लिये तुम समर हो गये!
करके जन कार्य जग को तोहफा दिया.
तुम अमर थे.अमर हो.अमर हो गये!!
“डाॅ.चेतन बिहारी सक्सेना”