कोल माफियाओं के द्वारा ग्रामीणों को बनाया जा रहा है–अपराधी, खदानों में कोयला और डीजल माफिया सक्रिय.
रिपोर्ट– जावेद अली आज़ाद
कोरबा ब्यूरो(अमर स्तम्भ)। एसईसीएल की कोयला खदानों में सक्रिय डीजल और कोल माफिया क्षेत्र के भोले भाले ग्रामीणों को अपराधी बना रहे हैं। चंद रूपयों की लालच में फंसकर क्षेत्र के नवयुवक, महिलाएं, पुरूष सहित नाबालिग बालक- बालिकाएं भी अपराध की राह पर चल पड़े हैं। कोयला खदानों में प्रतिदिन हो रही एक करोड़ रूपयों से भी अधिक की डीजल और कोयला चोरी की जहां एस ई सी एल प्रबंधन अनदेखी कर रहा है, वहीं जिला प्रशासन भी मौन है।
कोरबा जिले की कोयला खदानें अपराधियों का स्वर्ग बनी हुई है। एक ओर हथियारों से लैस अपराधी कैम्पर लेकर खदानों में घुसकर बेखौफ डीजल चोरी करते हैं, वहीं दूसरी ओर कोल माफिया सैकड़ों ग्रामीणों को कोयला खदानों में घुसाकर कोयला चोरी कराता है। डीजल चोरी के लिए भी आस- पास के गांवों के नवयुवकों का सहारा लिया जाता है। ये नवयुवक डीजल चोरी कर माफिया को डीजल बेचते हैं। माफिया की ओर से इन्हें किसी भी तरह की कार्रवाई से बचाने की गारंटी दी जाती है, वहीं जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता भी पहुंचाई जाती है। डीजल माफिया गेवरा, कुसमुण्डा और दीपका कोयला खदानों में सक्रिय है और प्रति दिन हजारों लीटर डीजल की चोरी कराता है।
सूत्रों के अनुसार मौके पर कार्यरत कर्मचारी डीजल चोरों का विरोध करते हैं तो रिवाल्वर दिखाकर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती है। साथ ही कर्मचारियों को चोरी में बाधा नहीं डालने पर नजराना भी दिया जाता है। बताते हैं कि डीजल चोर साफ कहते हैं कि चोरी में सहयोग करो और अपना हिस्सा लो। विरोध करोगे तो मारे जाओगे। यही वजह है कि खदानों में कर्मचारियों की मौजूदगी में प्रतिदिन हजारों लीटर डीजल की चोरी कर ली जाती है।
इसी तरह कोयला माफिया भी खदानों से खुलेआम कोयले की चोरी करता- कराता है। सूत्रों का कहना है, कि बड़ा कोयला माफिया कुसमुण्डा और गेवरा कोयला खदान से ट्रकों में कोयला भरकर रोकटोक निकाल लेता है। वहीं दूसरी ओर कोयला माफिया का एक गिरोह कोयला खदान के आस-पास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणो से खुलेआम कोयला चोरी कराता है। ग्रामीण सैकड़ों की संख्या में कोयला खदान में घुस जाते हैं और सुबह से शाम तक खुले आम कोयला चोरी करते हैं। इन ग्रामीणों में सभी आयु वर्ग के महिला-पुरूषों के साथ छोटे-छोटे नाबालिग बालक- बालिकाएं भी शामिल होते हैं। खदान से बाहर लाकर कोयले को माफिया को दो रूपये किलो की दर पर बेचा जाता है। माफिया इस कोयले को प्रदेश के उद्योगों को छः रूपये प्रति किलो यानि छः हजार रूपये प्रति टन की दर से बेचता है।
एसईसीएल की कोयला खदानों में हो रही डीजल और कोयला चोरी को लेकर एस ई सी एल प्रबंधन की चुप्पी संदेहजनक है। खदानों की सुरक्षा के लिए एसईसीएल की सिक्यूरिटी के साथ सी आई एस एफ और नागा बटालियन का सशस्त्र बल खदानों में तैनात हैं। बावजूद इसके डीजल और कोयला चोरी पर रोक नहीं लग रही है। जिला प्रशासन भी इस संगठिन अपराध पर लगाम कसता दिखाई नहीं देता। परिणाम स्वरूप डीजल और कोयला माफिया का हौसला बुलंदी पर है। हालात इस कदर बेकाबू हो गये है कि डीजल और कोयला माफिया हिंसा पर उतर आये हैं।
ऐसी ही हिंसा की एक घटना 23 मार्च 2022 को देखने में आई। कोरबा से प्रकाशित एक दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता और न्यूज पोर्टल के संचालक गत 23 मार्च 2022 को सामूहिक कोयला चोरी की रिपोर्टिंग के लिए कुसमुण्डा गेवरा क्षेत्र गये हुए थे। वहां कोयला चोरों के समूह ने उनसे मारपीट की। पत्रकारों की टीम में एक युवती भी शामिल थी, जिसे गंभीर चोटें आई। पत्रकार किसी तरह भागकर अपनी जान बचा पाये। इस मामले में दो दिन बाद हरदीबाजार पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है। लेकिन दूसरी ओर पत्रकारों के खिलाफ महिलाओं से छेड़छाड़ की झूठी रिपोर्ट भी दर्ज कर ली गयी है, जिससे पता चलता है कि कोयला माफिया कितना प्रभावशाली है। हाल के दिनों में जिले में लगातार हुई घटनाओं से आम नागरिकों में दहशत फैल रही है। कोरबा जिले में अपराधियों की बेखौफ गतिविधियां जिले की शांति और कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा हैं।