छुरा (अमर स्तम्भ) – प्रियजनों के उद्धार के निमित्त नगर के मानस मंदिर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस कथावाचक पं कामता प्रसाद तिवारी ने बताया कि भागवत गीता की रचना सरस्वती के तट पर हुई जो जो ज्ञान का प्रतीक है ,भागवत में यमुना नदी के तट पर घटी घटनाओं का समावेश हुआ गोकुल, मथुरा, वृंदावन और भागवत कथा का गायन सुरसरि तट कांशी में हुआ इस प्रकार भागवत कथा का लोकार्पण जहां पर हुआ उस स्थान को भागवत के कारण से त्रिवेणी संगम अर्थात् गंगा यमुना सरस्वती नदी का संगम कहा गया जो कि कालांतर में तीनो नदी के स्थूल-संगम के रूप में देखा व खोजा जाने लगा।ग्रंथों की रचना हमें देवत्व, मनुष्यत्व प्रदान करता है,ग्रंथ नहीं होते तो हम निशाचर हो जाते।हमारे जीवन में धर्म और अधर्म का युद्ध चलता है धर्म के साथ ईश्वर होता है,जो धर्म के पक्ष में चलते हैं वे ईश्वर से जुड़े होते हैं।इस संसार को जीतना है तो ईश्वर को संग रखना आवश्यक है।परीक्षित जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन में चार युग होते हैं।सज्जन व्यक्ति सतयुग में जीता है, राजनीतिक व्यक्ति त्रेता में जीता है,जो धर्म के विपरीत चलता है वह कलयुग में जीता है। अवतार कथा सुनाते बताया कि भगवान का विभिन्न रुपों में अवतार जीव को आनंद देने के लिए हुआ, परमात्मा समस समय पर अवतार लेते हैं।सर्वप्रथम अवतार ऋषि के रुप में हुआ पश्चात वराह अवतार पश्चात नारद रुप में अवतार हुआ जो भक्ति रुप है। गीत संगीत के साथ चल रहे कथा प्रवचन का लोगों ने आनंद लिया। संध्या आरती पश्चात प्रसाद वितरण किया गया