वो लड़ सकता है,
तीर कमान,बरछी भाले
से लेकर बंदूकें, तोपें
और टैंक लेकर ,
जंग के मैदान में
जूझते हुए मर सकता है ।
हाँ, जरा
तारीख के सफे
पलटकर देखिये तो –
वो लड़ा है हमेशा
और जीता है
बड़े बड़े महायुद्धों को
उसने अपने लहू से
सींचा है।
उसकी क्षमताओं पर
रंचमात्र भी शक
मत करना,
उसके जिंदा होने पर
कभी भी सवाल मत करना।
क्योंकि वह जिंदा था
और जिंदा है
उसके भीतर संवेदनाओं का
संसार बसता है
वह खामोश हर जुल्म
हँस कर सहता है
क्योंकि
वो सब कुछ जानता है।
लेकिन वो दुश्मन की
साजिशों और चालबाजियों को
नही समझ पाता ,
और तुम करते हो
जिंदा होने का ढ़ोंग,
जिंदा हो तो उठो
दुशमन को ललकारते हुये
आगे बढ़ो
ये जिम्मेदारी तुम्हारी है
क्योंकि तुम पढ़े लिखे हो
तुम बुद्धिजीवी हो
सत्ता की साजिशों को
बखूबी समझ सकते हो
तुम उठो ,
क्रांति की मशाल लेकर
आगे बढो..
ये तुम्हारे कंधों पर
बड़ी जिम्मेदारी है।
तुम उठो तो सही
तुम्हारी सेना दुशमन की
सेना से भारी है।
डा.राजेश सिंह राठौर
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक
एवं विचारक