चैत्र शुक्ल एकादशी को जन्मे थे भक्त हनुमान
लाए संजीवन ढूंढ दिया उन्होंने लक्षमण को जीवन दान
राम प्रभु के अनन्य स्नेही अंजनीसुत भी जिनका नाम
दुखहर्ता सुखकर्ता हैं वो,हैं संकटमोचन हनुमान
भक्तों को अपने न कभी बिसराते,हैं शक्ति का दूजा नाम
नर नारी सब मिलकर करते,उनकी महिमा का गुणगान
शिव जी के अवतार हुए जो वो बजरंगी हैं विद्वान
स्वयं लंकापति भय खा गए थे उनके लोहे को मान
दुष्टों पर तान भृकुटि सदा वो लेते बस राम का नाम
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता करते सबका कल्याण
केसरी नंदन वो मारुति नंदन हैं गुणों की पूरी खान
भूत पिशाच निकट न झांके सुनकर हनुमन का नाम
पूजे जाओगे सर्वत्र तुम्हीं होगा सर्वत्र तुम्हारा नाम
अजर अमर अपूर्व बलशाली पाए श्रीराम से ये वरदान
उनसे बड़ा ना भक्त है कोई न इस जग में दूजा नाम
कृपा रखना तुम अपनी विक्रम बनाना बिगड़े मेरे सारे काम
पिंकी सिंघल
अध्यापिका
शालीमार बाग
दिल्ली