स्वतंत्रता आंदोलन के अप्रितम योद्धा थे तात्या टोपे–ऋषि कुमार शर्मा

स्वतंत्रता आंदोलन के अप्रितम योद्धा थे तात्या टोपे–ऋषि कुमार शर्मा
■ आज 18 अप्रैल को उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष
अट्ठारह सौ 57 के स्वतंत्रता आंदोलन के नायको मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई के साथ-साथ तात्या टोपे का नाम भी स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाने योग्य है।
इस महान स्वतंत्रता सेनानी का जन्म महाराष्ट्र के पाटोदा जिले के गांव यवेलकर मैं ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम पांडुरंग राव एवं माता का नाम रुकमणी बाई था। तात्या टोपे के पिता इन्हें अपने साथ बाजीराव द्वितीय के यहां कानपुर के गांव बिठूर में ले जाकर रहने लगे थे, जहां बाजीराव द्वितीय निर्वासित जीवन बिता रहे थे। तात्या टोपे ने युद्ध का प्रशिक्षण बाजीराव द्वितीय के पुत्र नाना साहब के साथ ही लिया था। बड़े होने पर बाजीराव ने उन्हें अपने यहां मुंशी के पद पर रख लिया। अपनी सेवा काल के दौरान तात्या टोपे ने एक भ्रष्ट कर्मचारी को पकड़ लिया जिससे खुश होकर बाजीराव ने हीरों जड़ी टोपी इन्हें भेंट कर उनका सम्मान किया। तभी से वह रामचंद्र पांडुरंग के स्थान पर तात्या टोपे के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
. सन 18 सौ 57 के स्वतंत्रता आंदोलन में नाना साहब ने तात्या टोपे को अपनी सेना का सेनापति बनाया और उन्हें रत्न जड़ित तलवार भेंट की। नाना साहब ने कानपुर में अंग्रेजों से युद्ध किया किंतु अपनी हार के कारण वह नेपाल जाकर रहने लगे। इस बीच तात्या टोपे ने अपनी सेना का गठन किया और रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिलकर झांसी में अंग्रेजों से लोहा लिया और विजयी हुए। इसके बाद यह लोग ग्वालियर के किले पर अपने अधिपत्य हेतु कालपी चले गए और महाराजा जीवाजी राव सिंधिया के साथ मिलकर इन लोगों ने युद्ध करके ग्वालियर के किले पर अपना अधिकार कर लिया। किंतु 18 जून अट्ठारह सौ 58 को ग्वालियर में पुनः हुए युद्ध में रानी लक्ष्मी बाई को हार का मुंह देखना पड़ा और उन्होंने मृत्यु का वरण कर लिया। किंतु तात्या टोपे ने हार नहीं मानी और वह अनवरत अंग्रेजों से स्वतंत्रता हेतु लोहा लेते रहे। तथा उन्होंने अंग्रेजों की सेना की नाक में दम कर दिया। किंतु 18 अप्रैल 18 59 को एक जंगल में विश्राम करते हुए तात्या टोपे पकड़ लिए गए और उन्हें अंग्रेजों ने मुकदमा चला कर फांसी दे दी।
स्वतंत्रता आंदोलन के नायक तात्या टोपे का अंग्रेजी सेना में बहुत खौफ था और वे उनसे बहुत भयभीत रहते थे।
विदेशी इतिहासकार मालसन ने उनके बारे में लिखा था — संसार की किसी भी सेना ने कभी कहीं पर इतनी तेजी से कूच नहीं किया जितनी तेजी से तात्या की सेना करती थी। उनकी सेना की हिम्मत और बहादुरी की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
इस प्रकार तात्या टोपे अपनी बहादुरी और वीरता के कारण स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों में अपना अलग ही स्थान रखते हैं। 18 अप्रैल को उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए उन्हें कोटि-कोटि नमन।
ऋषि कुमार शर्मा लेखक बरेली।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

रोडवेज कार्यशालाओं का निजीकरण और दग्गामार खिलाफ अवध डिपो में जोरदार धरना प्रदर्शन

रोडवेज कार्यशालाओं का निजीकरण और दग्गामार खिलाफ अवध डिपो में जोरदार धरना प्रदर्शन रोडवेज कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के सभी पदाधिकारी मौके पर रहे मौजूद तबरेज़...

राजपुर कला सहकारी समिति स्थित पटपरागंज में किसानों को खाद न मिलने से किसानों ने उच्च अधिकारियों को फोन कर सूचना दी

अवधेश सिंह बरेली मंडल प्रभारी राजपुर कला/अलीगंज---ब्लॉक मझगवां के ग्राम राजपुर कला सहकारी समिति के सचिव धर्मवीर यादव की व्यवस्था फेल होने से कुछ ग्रामीणों...

Related Articles

रोडवेज कार्यशालाओं का निजीकरण और दग्गामार खिलाफ अवध डिपो में जोरदार धरना प्रदर्शन

रोडवेज कार्यशालाओं का निजीकरण और दग्गामार खिलाफ अवध डिपो में जोरदार धरना प्रदर्शन रोडवेज कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के सभी पदाधिकारी मौके पर रहे मौजूद तबरेज़...

राजपुर कला सहकारी समिति स्थित पटपरागंज में किसानों को खाद न मिलने से किसानों ने उच्च अधिकारियों को फोन कर सूचना दी

अवधेश सिंह बरेली मंडल प्रभारी राजपुर कला/अलीगंज---ब्लॉक मझगवां के ग्राम राजपुर कला सहकारी समिति के सचिव धर्मवीर यादव की व्यवस्था फेल होने से कुछ ग्रामीणों...