गरियाबंद , जिला मुख्यालय के करीब के ग्रामो सहित नगर पालिका क्षेत्राधिकार में भी धड़ल्ले से चल रहा है अवैध प्लाटिंग का धंधा इस धंधे में जंहा नियम कायदों की धज्जियां उडाई जा रही वही सरकार के लाखों की राजस्व की क्षति हो रही है । घर बनाने के लिए भूमि खरीदने वाला ठगा जा रहा है न तो उसके प्लाट में पहुचने के लिए रास्ता है और नही निस्तारी पानी निकासी के लिए नाली के लिए जगह है । अवैध निर्माण की वजह से शहर का सुनियोजित विकास नहीं हो पा रहा है । जिसके चलते लोग जहां मूलभूत सुविधाओं को तरसते नजर आ रहे हैं ,वही इन अवैध तरीके से कालोनी बसाने वाले भू – माफियाओं ने अपनी सारी हदें पार कर दी हैं ।
**बगैर डायवर्सन **
नगर से लगे अधिक्तर भूमि का डायवर्सन ही नही किया गया है । भूमि लेने के बाद घर बनाने के लिये कई लोग प्रक्रिया पूर्ण कराने चक्कर लगाते देखे जा सकते है । वही निगम में सेटिंग के चलते भवन बगैर नियम कायदों के बना रहे है । जिसके कारण निगम को भी करोड़ो के राजस्व की हानि हो रही है ।
** प्रशासन की मौन स्वीकृति **
जिला बनने के बाद विगत 5 वर्षों में बे तरतीब अवैध प्लाटिंग को बाढ़ सी आ गयी । इस सम्बध में कई बार प्रशासन को अखबार के माध्यम से जगाने का प्रयास किया गया किंतु कहा जाय सेटिंग इतनी तगड़ी की सरकारी काबिल काश्त की भूमि को भी सेठ साहूकारों ने खरीद कर अवैध प्लाटिंग कर कई हिस्से कर बेच दिया । नही खसरे के टुकड़े करने पर रोक लगी और नही इन एक खसरे पर कईं टुकड़ो पर रजिस्ट्री पर ही रोक लग पाई । कृषि भूमि के एक खसरे के कईं छोटे छोटे टुकड़े किये गए ।
चर्चा हैं कि इस पूरे अवैध कारोबार में राजस्व विभाग , टाउन एंड कंट्री प्लानिंग , पंजीयक सहित नगर पालिका में सांठ – गांठ कर अवैध तरीके से अवैध प्लॉटिंग कर सीधे साधे लोगों की जमा पूंजी को चौपट करने में लगे हैं ।
**रजिस्ट्रार से सेटिंग **
जिले में अब तक ई रजिस्ट्री की बेहतर ऑन लाइन सेवा नही होने का फायदा रजिस्ट्रार ने जम कर उठाया । एक खसरे के कई कई दुकड़े में रजिस्ट्री की गई । चार तो ठीक है यंहा डोंगरी गांव के 321 खसरे के तो 137 टुकड़ा तक काट दिया गया । जिसके पीछे भू माफियाओ द्वारा मोटा ऑफर दिया जाता रहा है । आदिवासी भूमि की भी कई टुकड़ो में रजिस्ट्री की गई । कई जगह तो यह भू माफिया दूसरे के भूमि में भी कब्जा करने से बाज नही आ रहे । इधर कलेक्टर नही करने के निर्देश दे रहे तहसीलदार प्लाट के कटिंग में लगे है ।
** गरीब आदिवासियों के नाम भूमि **
जिले के आस पास सेठ साहूकारों द्वारा एक ही आदिवासी परिवार के नाम पर बड़ी बड़ी भूमि खरीद कर प्लाटिंग की गई । ऐसा कई बार किया गया और बार बार खरीदी बिक्री की जाती रही है । हर बार साहूकार को गवाह बनाया गया फिर भी रजिस्ट्रार ने कभी भी आपत्ति नही की ।
** रेरा के नियमो का उलंधन **
प्लाट कटिंग कर बेचने के दौरान रेरा व टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से लेआउट पास कराना होता है। जिला मुख्यालय में हो रहे प्लाट कटिंग ऐसी कोई अनुमति नही ली गयी । रेरा के नियम के तहत प्लाट कटिंग के दौरान गरीब लोगो को कुछ प्लाट देने का प्रावधान है । जो यहां नही हो पा रहा है । यह नगर के सुनियोजित विकास के लिए रोड़ा भी है । नगरीय निकाय क्षेत्र में बड़े स्तर पर अवैध प्लाटिंग का खेल चल रहा है । भू – माफिया रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारटी ( रेरा ) को दरकिनार कर प्लाट बेच रहे है ।