अभिषेक बुन्देला
ललितपुर(अमर स्तम्भ) । चौकाबाग स्थित पंडाल में कथा के अंतिम पूज्य संत मुरारी बापू की कथा अनावृत चल रही है जहां पर उनकी कथा सुननी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाक-चौबंद व्यवस्था के साथ पहुंचे जहां उन्होंने भी जनता को संबोधित किया। कथा के अंतिम दिन मोरारी बापू ने कहा कि रामकथा सबको जोडऩे की कथा है। प्रभु छोटे-छोटे वर्ग को साथ लेकर चलते हैं। अपने जीवन को हर्ष और विषाद के बिना कैसे जिया जाता है, यह प्रभु चरित्र दर्शन से प्रकट करते हैं। जीवन में मर्यादाओं को पुष्ट करने की यह कथा है, यह प्रेम यज्ञ है। हमारा राष्ट्र शरणागति की ओर गति कर रहा है। श्री रामचरित मानस के सातों कांड शरणागति का निरूपण करते हैं, उन्हें सती, भरत, शबरी, हनुमान विभीषण,मंदोदरी एवं महादेव के चरित्रों से समझा जा सकता है। रामराज्य प्रेम राज्य है। कथा के अंतिम सत्र में बापू ने अपार जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम का जनकपुर में प्रवेश एवं वहां से विदाई तक कुछ विशेष घटनाएं घटित होती है। इसका भाव पक्ष भी है और अध्यात्मिक पक्ष भी। महाराज जनक प्रभु को देखकर ब्रह्म सुख छोडकर, सहज वैराज्य त्यागकर अनुरागी बन गए। निर्गुण को आराधना का साधक सगुण ब्रह्म के दो रूपों का प्रथम मिलन है। यह प्रकृति व पुरूष का मिलन मानसकार कहते हैं कि दोनों एक दूसरे को ह्दयस्थ करते हैं, मूलत: जानकी जी तो ठाकुर के ह्दय में और जानकी जी के ह्दय में ठाकुर विराजित हैं। दोनों का एकत्व ह्दय के रूप में है, जनक परम ज्ञानी है। धनुष न टूटने पर चिन्तित हो जाते हैं, उनकी धर्मपत्नी सुनैना चिन्तित हो जाती है। जानकी जी भी चिन्तित हो जाती हैं, तब प्रभु ने पहले अहमता रूपी धनुष तोड़ा, फिर ममता रूपी चिंता को समाप्त किया। परशुराम जी स्वयं अवतार हैं किन्तु धनुष की ममता कुछ समय के लिए संशयी बना देती है, फिर तो सत्य का प्रकाश होता है। कथा में बापू ने धनुष यज्ञ प्रकरण पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि नगर दर्शन, पुष्प वाटिका प्रसंग साधकों को नव जीवन का संचार करती है। गौरी भवानी की श्रद्धापूर्वक अर्चना आज भी विवाह योग्य कन्याओं द्वारा अनुसरण करने योग्य है। जनक का आक्रोश भैया लक्ष्मण सहन नहीं कर पाते। गुरू विश्वामित्र की आज्ञा पाकर भगवान राम जनक के परिताप को मिटाने उठते हैं। भगवान राम ने एक क्षण के मध्य में ही धनुष तोड़ दिया। मध्य शब्द की विभिन्न व्यवस्थाओं से बापू ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। धनुष के विखंडन के बाद सियाजू ने राम के गले में वरमाला डाल दी। परशुराम जी आते हैं, उनके प्रसंग उपरांत अयोध्या से बरात पधारती है एवं मंगल मुहुर्त विवाह पंचमी की तिथि में श्री सीताराम जी का मंगल विवाह संपन्न होता है। वैदिक विधि विधान से श्री राम जी का, श्री जानकी से, श्री लक्ष्मण जी का श्री उर्मिला जी से, भरत जी का मांडवी जी से, शत्रुघ्र जी का विवाह श्रतुकीर्ति से संपन्न होता है। कन्या विदाई का प्रसंग सभी के लिए अत्यंत मार्मिक पक्ष होता है। विदाई हुई बारात वापस अयोध्या पहुंची। विश्वामित्र महाराज की विदाई के साथ गोस्वामी जी मानस के प्रथम सोपान बालकांड का समापन करते हुए कहते हैं कि मैंने अपनी वाणी को पावन करने के लिए यह कथा कही, जो भी यह प्रसंग सप्रेम गाएगा या सुनेगा। उसके जीवन में मंगल प्रसंग उत्साहपूर्वक संपन्न होंगे। बापू ने संक्षिप्त रूप में अयोध्याकांड आदि प्रसंगों को कागभुसिंडि रामायण के रूप से कही। राम वनवास, वाल्मीकि मिलन चित्रकूट निवास, सुमंत के अयोध्या पहुंचने पर राजा दशरथ छह बार राम स्मरण कर देह त्याग करते हैं। अयोध्या का सूरज अस्त हो गया। भरत-शत्रुघ्र की ननिहाल से बुलाया गया। भरत जी ने पिता का संस्कार किया। चित्रकूट में भगवान राम व भरत का मिलन होता है। भरत जी का पादुका लेकर अयोध्या आते हैं और साधुमय जीवन जीते हैं। अरण्य कांड में सीता हरण प्रसंग सीता की खोज शबरी मिलन प्रसंग है। किष्किंधा कांड में सुग्रीव मिलन, सीता की खोज, लंका दहन, विभीषण शरणागति प्रसंग बापू ने सुनाया। लंका कांड में सेतु बंधन की एवं युद्ध की कथा है। प्रभु ने सबको तारा है। पुष्पक विमान से प्रभु सबके संग अयोध्या आते हैं और रामराज्य स्थापना संपन्न हुई।
वाक्स में
रामकथा में पहुंचे मुख्यमंत्री योगी ने भी किया संबोधन– स्थानीय चौकाबाग स्थित श्री रामकथा के भव्य मंच पर प्रदेश के मुयमंत्री योगी आदित्यनाथ, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव के साथ पहुंचे। उन्होंने बापू एवं व्यासपीठ को नमन किया। बापू ने शब्दों में उनका अभिवादन किया। इसके पश्चात मुयमंत्री ने कहा कि बुंदेलखंड की भूमि भक्ति एवं शक्ति का संगम है। बुंदेलखंड के चित्रकूट में भगवान ने अपने वनवास का बड़ा काल खंड व्यतीत किया। बुंदेलखंड में ही संत तुलसीदास महाराज का जन्म हुआ, जिन्होंने रामचरित मानस की रचना की जो जन-जन के ह्दय ज्ञान भक्ति का संचार करती है। ऐसे बुंदेलखंड में बापू की कथा मंगलकारी है, इसकी पूर्णाहुति में मुझे आने का सौभाज्य मिला। रामकथा भारत राष्ट्र की कथा है, यह हर परिवार की कथा है, जो जीवन जीने की प्रेरणा देती है। देश की विपीत परिस्थितियों में व्यासपीठ मार्ग दिखाने का कार्य कर रही है। शासन में भेदभाव नहीं होना चाहिए। किसी के जीवन में अभाव नहीं रहना चाहिए। समाज में बुराई नहीं होना चाहिए, यही रामराज्य है। आज मोदी जी के संकल्प से हम सभी इस कार्य में जुटे हैं। गरीबों के मकान, मुत राशन, स्वास्थ्य सुविधा, महामारी में फ्री जांच, फ्री इलाज, फ्री वैक्सीन सरकार द्वारा दी गई। बुंदेलखंड की प्यासी धरती में घर-घर शुद्ध नल से जल दिसंबर तक उपलब्ध करा देंगे। सामूहिकता के साथ सभी एक स्वर से राष्ट्र की प्रगति का संकल्प लें, यही समाज की ताकत है। बुंदेलखंड विकास के रास्ते बुलंदियों पर पहुंचे, इसके लिए प्रयास करें।