बृद्ध खुद को जिंदा साबित करने के लिए दो बर्षों से लगा रहा है कार्यालयों के चक्कर
समाधान दिवस के दौरान डीएम को शिकायती पत्र देकर कार्यवाही की उठाई मांग
ललितपुर। जिला मुख्यालय से दूर विंध्याचल पर्वत श्रंखला की तलहटी में बसे एक गांव का ग्रामीण पिछले 2 वर्षों से अधिकारियों की इसलिए परिक्रमा कर रहा है कि उसे कर्मचारियों ने एक सर्वे के दौरान मृत घोषित कर दिया था। जिससे उसकी पेंशन बंद हो गई और उसकी अजीबिका का साधन भी रुक गया। तब से लेकर अब तक कितने ही अधिकारी आए और चले गए लेकिन वह आज तक दस्तावेजों में जिंदा नहीं हो सका, जबकि हकीकत में वह है जिंदा अधिकारियों के सामने कई बार उपस्थित हो चुका है। उक्त पीड़ित बृद्ध ने एक बार फिर शनिवार को आयोजित समाधान दिवस के दौरान जिलाधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर अपने जिंदा होने का सबूत प्रमाण पत्र देने की मांग उठाई। जबकि जिन कर्मचारियों ने उसे दस्तावेजों में मृत घोषित कर उसकी पेंशन बंद करवा दी, आज तक उनके खिलाफ कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई। हालांकि यह जनपद का कोई पहला मामला नहीं है इसके पहले भी कभी कई ऐसे मामले आए हैं जिनमें पीड़ित लगातार अधिकारियों की परिक्रमा करते हुए दिखाई दिए हैं । कर्मचारियों की लापरवाही का मामला तहसील पाली के अंतर्गत ग्राम बंट का है।
मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को जनपद की तहसील पाली में संपूर्ण समाधान दिवस का आयोजन किया गया था। संपूर्ण समाधान दिवस में जिलाधिकारी आलोक सिंह पुलिस अधीक्षक निखिल पाठक के साथ सभी संबंधित अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे जब समाधान दिवस में जन सुनवाई चल रही थी तभी गांव का एक बूढ़ा बुजुर्ग व्यक्ति अपने हाथ में प्रार्थना पत्र लेकर जिला अधिकारी के समक्ष उपस्थित हुआ। जिसने जिला अधिकारी को अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि “साहब…… हम कल भी जिंदा थे… और आज भी जिंदा है, पिछले कई सालों से मुझे वृद्धा पेंशन मिल रही थी जिससे मेरी गुजर बसर हो रही थी। मगर करीब दो बर्ष पूर्व जांच के दौरान आपके कर्मचारियों ने हमें मृत घोषित कर दिया…. अब तो हमें जिंदा होने का प्रमाण पत्र दे दो साहब ताकि हमारी बृद्धा पेंशन फिर वहाल हो सके” यह गुहार लगाई तहसील पाली के ग्राम बंट निवासी करीब 70 बर्ष के बुजुर्ग बाबू खां पुत्र जुम्मन खां ने। उसने यह भी अवगत कराया कि पिछले करीब 2 वर्षो से अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए वह कई अधिकारियों के चक्कर लगा चुका है। मगर उसे आज तक कोई जिंदा साबित नहीं कर सका जबकि वास्तव में वह आपके सामने जिंदा खड़ा हुआ है। उसने यह भी बताया कि उसे 2020 के पहले उसकी वृद्धा पेंशन से सुचारू चल रही थी जिससे वह अपनी गुजर-बसर चला रहा था , लेकिन आपके ही किसी जांच अधिकारी की एक रिपोर्ट ने मुझे मृत घोषित कर दिया। इस बाबत उसने जिला अधिकारी के समक्ष एक प्रार्थना पत्र भी प्रस्तुत किया हालांकि जिलाधिकारी ने उसे कार्यवाही का आश्वासन दिया। लेकिन ऐसे मामलों में अक्सर देखा गया है कि जिन अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से ऐसे लोगों को खामियाजा भुगतना पड़ता है, जबकि वास्तव में उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती, यदि उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई हो तो फिर ऐसे मामलों में लगाम लगाई जा सकती है। हालांकि यह जनपद का कोई पहला मामला नहीं है ऐसे कई मामले पहले भी आ चुके हैं।
तालबेहट से दशरथ कुशवाहा की रिपोर्ट