धांधली : मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू के विरुद्ध भ्रष्ट्राचार की शिकायत में प्रधानमंत्री कार्यालय ने लिया संज्ञान,जांच के लिए आया पत्र।

प्रकाश कुमार यादव
गरियाबंद(अमर स्तम्भ):-भ्रष्ट्राचार समाज पर एक अभिशाप से कम नहीं है। भ्रष्ट्राचार के अंतर्गत व्यक्ति अनुचित लाभ के लिए लोगों की मजबूरी,संसाधनों का गलत फायदा उठाता है।आज भ्रष्ट्राचार की वजह से भी कहीं न कही समाज में समुदायों के बीच की खाई चौङी हो चुकी है। भ्रष्ट्राचार की वजह से देश के विकास में सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभाव पङता है।भ्रष्ट्राचार दो शब्दों ‘भ्रष्ट+आचार’ के मेल से बना है जिसमें ‘भ्रष्ट’ का अर्थ है बुरा और ‘आचार’ से अभिप्राय आचरण से है। इस तरह भ्रष्ट्राचार का अर्थ हुआ ऐसा आचरण जो बुरा हो। वहीं भ्रष्ट्राचार करने वाले व्यक्ति को भ्रष्ट्राचारी कहा जाता है। भ्रष्ट्राचारी एक ऐसा व्यक्ति होता है जो अपने स्वार्थों की पुर्ति के लिए गलत आचरण रखता है।वह न्याय व्यवस्था के विरुद्ध जाते हुए अपने हितों को साधता है।भ्रष्ट्राचार कईं अलग-अलग तरीके से किया जाता है।कोई काला-बाजारी,चोरी,रिश्वत तो, चीजों के ज्यादा दाम लेना,गरीबों का पैसा हङपना जैसे हथकंडो के जरिए भ्रष्ट्राचार को अंजाम देता है।ऐसा ही मामला जिला गरियाबंद के जल संसाधन संभाग विभाग का सामने आया हैं जंहा करोड़ो रूपये की लागत से बनने बाली नहर लाइनिंग में शासन की राशि की अधिकारी और ठेकेदार की सांठगांठ से लूट मची हुई हैं।वंही दूसरी और इस भ्रष्ट्राचार के खिलाफ भाजपा नेता ने मोर्चा खोल दिया दिया हैं।बता दें कि प्रीतम सिन्हा भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ के द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को सुब्रत साहू अपर मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन द्वारा करोड़ों रूपये के कार्य में ठेकेदार के साथ मिल कर पद का दुरूपयोग कर फर्जी बिल वाउचर,कूटरचना,साजिश, मनमानी,अनैतिक लाभ, गुणवत्ताहीन कार्य कर करोड़ों रूपये की अनियमितता कर शासन को राजस्व हानि पहुंचाने के खिलाफ विधि सम्मत कार्यवाही करने की शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत में जल संसाधन संभाग गरियाबंद छ.ग. शासन के अधीनस्थ पैरी परियोजना अंतर्गत वर्ष 2020-21 में स्वीकृत कार्य लागत रूपये 44.00 करोड़ के कार्य पैरी दायी मुख्य नहर लाइनिंग कार्य 6477 से 36900 मीटर और फिंगेश्वर डिस्ट्रीब्यूटारी मासूल के पहले 1524 मीटर और मासूल के बाद 1524 मीटर से 48371 मीटर एवं शेष मरम्मत कार्य 26/05/2020 मेसर्स अशोक कुमार मित्तल ए क्लास ठेकेदार को2020-21 दिनांक 26/05/2020 को अनुबंध हुआ है। शासन के द्वारा अनुबंधकर्ता और विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर खास मुख्तारनामा तैयार कर अनिल सिंह चंदेल आत्मज निवासी रायपुर के नाम पर दिनांक 15/01/2021 को कार्य से संबंधित समस्त अधिकार प्रदत्त करते हुए खास मुख्तारनामा में दर्ज कर कार्य सुपुर्द किया गया श्री अनिल सिंह चंदेल द्वारा उक्त स्वीकृत कार्य की समस्त जिम्मेदारी प्रदाय होने के उपरांत प्रशासकीय अधिकारी के साथ आत्मीय संबंध के चलते विभागीय अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर गुणवत्ताहीन कार्य,आर्थिक भ्रष्ट्राचार एवं कूटरचना का शासन को करोड़ों की हानि पहुंचाई है। चूंकि सुब्रत साहू स्वयं छत्तीसगढ़ शासन में अपर मुख्य सचिव पद कार्यरत रहे थे,सुब्रत साहू द्वारा अनिल सिंह चंदेल से संबंधों के चलते नियम विरूद्ध अनैतिक कार्य, भ्रष्ट्राचार,गुणवत्ताहीन कार्य पर भी फर्जी बिल वाउचर के माध्यम से करोड़ों का आर्थिक लाभ पहुंचाया गया।

पर्यावरण मंडल से अनुमति लिए बिना धड़ल्ले से कर रहे बांध से मिट्टी/मुरुम की खुदाई…

अँधा बांटे रेवड़ी !फेर-फेर अपने को दे” यह मुहावरा लगभग हर पढ़ा लिखा इंसान अपने जीवन काल में एक ना एक बार अवश्य दोहराता है/ प्रश्न यही है कि आखिर अँधा ,रेवड़ी ही क्यों बांटता है ?जबकि वह जानता है कि रेवड़ी मुश्किल से तीन चार महीने ही बाजार में मिलती है और अँधा रेवड़ी बना भी नही सकता तो निश्चित रूप से रेवड़ी बाजार से ही मंगवानी पड़ेगी,तो अंधे के पास केवल रेवड़ी ही विकल्प क्यों?अन्य कुछ और क्यों नही? वह लड्डू,गुड,बताशे,किशमिश आदि भी तो बाँट सकता था / और फिर अँधा भी तो किसी अन्य से ही रेवड़ी पायेगा,कोई अनजान व्यक्ति उस अंधे को रेवड़ी देगा भी क्यों? अंधे से मिलने वाले कौन होंगे,कभी यह भी तो सोचो ? क्योंकि अंधे से मिलने वाले,अंधे को खाने पीने का सामान देने वाले,अंधे को कपड़े आदि देने वाले भी तो अंधे के अपने ही होंगे,तो अंधे के पास अगर रेवड़ी उसकी आवश्यकता से अधिक हो जायेगी तो वह देगा भी तो अपने जानने वाले को ही,इसमें इतना बुरा मानने की क्या बात है ?यहां लोकायुक्ति इन दिनों गरियाबंद के प्रशासनिक अधिकारियों पर सटीक बैठ रही हैं जंहा नहर लाइनिग के ठेकेदार से चंद सिक्को की खनक पाने और अपने स्वार्थ साधने सारे नियमो को ठेंगा दिखाते हुए नहर लाइनिग के ठेकेदार को राजस्व की लूट मचाने की छूट दे रखी हैं।बताना लाजमी होगा कि जल संरक्षण एवं सिंचाई के लिए बनाए गए बांध को मिट्टी/मुरुम के लिए बेतरतीब तरीके से इनदिनों खोदा जा रहा है। ग्राम फुलझर स्थित गोल्डाबांध में यह खनन किया जा रहा है। ठेका कंपनी ने बांध में अतिरिक्त जमा मिट्टी/मूरुम फिलिंग करने के बकायदा 2000 घनमीटर परिवहन का अनुमति मांग किया है।जल संसाधन एवं खनिज विभाग की अनुमति लेकर खनन कर दिया गया,लेकिन विभाग के जिम्मेदारों ने मौके का निरीक्षण नहीं किया है।नहर लाईनींग का कार्य करने वाली ठेका कंपनी बांध को मशीन से खोद डाला है।इससे बांध की उपयोगिता प्रभावित होना लाजिमी है।साथ ही आने वाले दिनों में बांध को खतरा है। बांध के पार से खोदाई से बांध अंदर से सिपेज होने पर बांध में पानी का भराव नहीं होगा। क्योंकि बांध के टोह के अंदर में बेतहाशा 4-5 फीट खोदाई कर दिया गया है। जिसमें बांध के फाउंडेशन के बराबर खोदाई से पानी सिपेज हो जाने बांध स्लीप हो जायेगा।

पर्यावरण मंडल देता है डेम की खुदाई के लिए अनुमति

जानकारी के अनुसार डेम की खुदाई के लिए अनुमति देने का अधिकार न जलसंसाधन विभाग के पास है ना कि खनिज विभाग के पास हैं।ठेका कंपनी को पर्यावरण मंडल से अनुमति लेनी थी,जो नहीं ली गई। इस पर जिला खनिज अधिकारी ने कलेक्टर गरियाबंद से अनुमोदित कर ठेका कंपनी ने अनुमति खनिज व जलसंसाधन विभाग से ली है। पर्यावरण मंडल से नहीं ली है। और ना ही अब तक दोनों विभाग ने मौके पर जाकर स्थिति का आकलन भी नहीं किया है।सारा काम ठेकेदार पर छोड़ दिया।

चैन माउंटेन मशीन से कर दिया गोल्डाबांध डेम की खुदाई..

डेम के एक छोर में धड़ल्ले से खुदाई किया गया है। इसके लिए चैन माउंटेन का उपयोग किया गया है। पहले भी बांध की मिट्टी व मुरुम की खुदाई नहर लाईनींग के लिए किया गया है और अब इसी कार्य के लिए भी मुरुम को बेचा गया है।खनिज विभाग के अनुसार ठेका कंपनी को 20 हजार घनमीटर मुरुम खनन की अनुमति दी गई थी।जल संसाधन विभाग ने भी खनन की अनुमति दी है। लेकिन दोनों विभाग के जिम्मेदार तय शर्तों के विपरीत हो रही खुदाई को झांककर भी नहीं देखा। अंधाधुंध खनन के कारण गोल्डाबांध अधिक गहरा हो चुका है। इससे डेम के मूल स्वरूप को भी नुकसान पहुंचेगा।जबकिं मौके पर अब तक 2000घन मीटर से ज्यादा मुरम/मिट्टी निकाली जा चुकी हैं।बताना लाजमी होगा कि
क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की साठगांठ के कारण निर्माण एजेंसी (ठेकेदार) के हौसले बुलंद हैं।आलम यह है कि जिला कलेक्टर तक को अंधेरे में रखकर खनिज और राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा मुरूम उत्खनन की अनुमति देकर जमकर भ्रष्ट्राचार किया गया हैं। दिलचस्प बात यह है कि नहर निर्माण के नाम पर मुरूम निकालने के लिए दो माह की अवधि के लिए लीज कराकर मुरूम को बाहर जगहों पर अधिक दाम पर बेचा गया। उच्चाधिकारियों के संरक्षण में चल रहे मुरूम चोरी के खेल को पंचायत के लोग भी रोजाना देखते रहे, किंतु उनके समक्ष समस्या यही है कि आखिर वे इस मामले की शिकायत करें भी तो किससे करें? क्योंकि सब कुछ सेटिंग में चलता रहा।सूत्रों के अनुसार पैरी नहर प्रणाली के अन्तर्गत रिमाड़लिंग एवम लाइनिग कार्य मे खनिज मुरम/मिट्टी के उपयोग हेतु गोल्डा नाला बांध ग्राम फुलझर के खसरा नम्बर 750 रकबा 25.50 हेक्टेयर शासकीय भूमि क्षेत्र से बांध पार डुबान के 02 फीट लियर खोदकर मुरम/मिट्टी दो हजार घन मीटर को अग्रिम रायल्टी जमा करने की शर्त पर दो माह के लिये परिवहन करने की अनुमति खनिज विभाग गरियाबंद द्वारा नहर लाइनिग के ठेकेदार अशोक कुमार मित्तल “ए” ठेकेदार कोरबा निवासी को दिया गया हैं।किन्तु ठेकेदार द्वारा लगभग अबतक दो हजार घन मीटर की जगह अब तक 5000 घन मीटर से भी अधिक मुरम खनन कर शासन को रायल्टी का चूना लगा चुका हैं।

नहर के नाम पर लीज कराकर बाहर बेचते रहे मुरूम

खनिज विभाग द्वारा निर्माण एजेंसी को दी गई अनुमति के अनुसार कंपनी को अग्रिम रायल्टी जमा करना अनिवार्य होगा। अग्रिम रायल्टी का 30 प्रतिशत डीएमएफ राशि जमा करना अनिवार्य होगा। निकासी का विधिवत हिसाब रखना होगा एवं जांच के दौरान मांग किए जाने पर अभिलेख प्रस्तुत करना होगा। प्रत्येक खनिज का परिवहन करने वाले वाहन के साथ अभिप्रमाणित पास जारी किया हुआ होना चाहिए।अनुमति पत्र की अवधि समाप्ति उपरांत स्थल पर पाए जाने वाला खनिज शासन की संपत्ति होगी। किंतु नियम शर्तों में उल्लेखित बातों का कहीं कोई पालन नहीं किया गया हैं। सच तो यह है कि कंपनी को जितने एरिया में मुरूम निकालने की अनुमति दी गई थी,उससे अधिक एरिया में मुरूम का उत्खनन किया गया हैं।एक तरफ अधिकारियों का कहना था कि हमारे विभाग में नहर का काम बंद हैं तो ऐसे में सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर गोल्डा नाला बांध से निकाली जा रही मुरूम को आखिर कहां खपाया जा रहा था? इस बारे में फुलझर ग्राम के ही कुछ ग्रामीणों से चर्चा में पता चला कि ठेकेदार द्वारा मुरूम को निकाल कर आसपास के उन लोगों के पास अधिक दाम पर बेचा जा गया हैं।जिन्हें मुरूम की जरूरत है।

खनिज विभाग के अधिकारी और ठेकेदार की मिली भगत स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है

भाजपा नेता प्रीतम सिन्हा ने आरोप लगाया है कि जिला खनिज अधिकारी के अनुमति लेकर खनन किया गया जिसमें 20 हजार घनमीटर की अनुमति दी गई है। कितना खनन किया, पता नहीं है। ठेकेदार के आवेदन और अधिकारियों के प्रतिवेदनों में स्पष्ट रूप से गड़बड़ी दिखा दे रहा है। जबकि जिला प्रशासन के सारे बड़े जिम्मेदार अधिकारियों ने नियम को हासिये में डाल कर गैरकानूनी तरीके से ठेकेदार को लाभान्वित करने के उद्देश्य से बांध से मिट्टी मुरुम करवा दिया।जबकि चल रहे कार्य में सिर्फ और सिर्फ मुरुम का ही उपयोग होना है।

गोल्डाबांध को खतरनाक ढंग से खोद दिया…

नहर निर्माण की ठेका कंपनी ने मशीन से इसकी खुदाई कर दिया है। यह सब सांठगांठ से किया गया है। मामले के जानकार प्रीतम सिन्हा ने बताया कि बांध को खतरनाक ढंग से खोदा गया है। जलभराव होने पर वह बांध को खतरा हो सकता है। जबकि डूबान क्षेत्र में बांध के अधिकतम जल स्तर(MWL) क्षेत्र में नियमतः खोदाई नहीं हो सकता।अनुविभागीय अधिकारी ने बांध के पार को छोड़कर खोदने की अनुंशसा किया है और कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग गरियाबंद के द्वारा उसे अनुमति के खनिज अधिकारी को प्रस्ताव भेज दिया। अनुविभागीय अधिकारी और कार्यपालन अभियंता दोनों अधिकारी तकनीकी ज्ञान शून्य हैं और अधिकारियों ने ठेकेदार से चंद सिक्के पाने की लालच में बांध को खतरे में डाल दिया हैं।

जल संसाधन विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में,नहर लाइनिंग की मरम्मत में भ्रष्ट्राचार

गरियाबंद जिले के जल संसाधन विभाग के कामकाज पर बार- बार सवालिया निशान खड़ा हो रहा हैं।विभागीय काम में अनियमितता और भ्रष्ट्राचार को लेकर भाजपा नेता और एक्टिविस्ट प्रीतम सिन्हा ने अपराध अन्वेषण ब्यूरो में शिकायत के साथ इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा हैं। मामला पैरी दायीं मुख्य नहर और फिंगेश्वर डिस्ट्रीब्यूशन नहर लाइनिंग की मरम्मत कार्य से जुड़ा है।प्रीतम सिन्हा ने अपराध अन्वेषण ब्यूरो में 13 बिंदुओं पर शिकायत दर्ज कराई थी।जिसमें उन्होंने बताया कि पैरी मुख्य दायीं नहर एवं फिंगेश्वर डिस्ट्रीब्यूशन नहर लाइननिंग के मरम्मत कार्य की स्वीकृति 2020-21 में हुई थी,इसके लिए 44 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए है।जिस पर विभाग ने 20 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर दी है।विभाग ने इस राशि से जो कार्य करवाया है जो कि पूरी तरह गुवत्ताहीन है।
प्रीतम ने कार्य मे बड़े पैमाने पर भ्रष्ट्राचार होने का आरोप लगाते हुए कहा कि कार्य में विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने जमकर बंदरबाट की है।जिम्मेदारों ने ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए शासन को नुकसान पहुंचाया है।मरम्मत कार्य गुवत्ताविहीन और कूट रचना कर किया गया है। ठेकेदार द्वारा किए गए कार्य मे जगह-जगह दरारें आ गई है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि मुरुम कम डालकर अधिक डालना दर्शाया गया है।उसका कम्पेक्सन भी ठीक तरह से नहीं किया गया है।घटिया किस्म के कांक्रीट का इस्तेमाल किया गया है।पेवर मशीन और वाइव्रेटर मशीन के बिना ही कार्य किया गया है,जबकि अनुबंध के मुताबिक कार्य पेवर मशीन और वाईव्रेटर मशीन से किया जाना था, क्योंकि मैन्युअल की अपेक्षा मशीनों से किये कार्य की रेट दर अधिक होती है।ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने मैन्युअल कार्य को मशीनों से कराया दर्शाकर अधिक रेट के बिल पास कर दिए है।
प्रीतम ने सभी आरोपो के दस्तावेज और प्रमाण भी अपनी शिकायत के साथ प्रस्तुत किए है। उन्होंने कहा कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है और ठेकेदार को अनैतिक तरीके से लाभ पहुंचाने की कोशिश की है। उन्होंने जल्द से जल्द मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।बता दें कि विभाग के लिए यह कार्य शुरू से ही गले की फांस बना हुआ है।कुछ साल पहले इसी नहर लाइनिंग के निर्माण कार्य में जमकर भ्रष्ट्राचार हुआ था।उस समय भी प्रीतम सिन्हा की शिकायत पर जांच के बाद आधा दर्जन से अधिक अधिकारी और कर्मचारी सस्पेंड हुए थे।

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